केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में व्हाइट पेपर (White paper) यानि श्वेत पत्र पेश किया। जिसमें 2014 के पहले की भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रबंधन पर सवाल उठाए गए।
इस पत्र के बाद से हंगामा मचा हुआ है और जवाब में विपक्ष ने ब्लैक पेपर दिखाया। जिस पर पीएम मोदी ने भी टिप्पणी करते हुए कहा कि, नजर ना लगे इसलिए काला टीका बहुत जरूरी होता है।
अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर ये व्हाइट और ब्लैक पेपर होता क्या है और इसका कैसे प्रयोग किया जाता है?
सबसे पहले बात करते हैं व्हाइट पेपर की
ये सरकारी दस्तावेज है, जो किसी खास मुद्दे पर जानकारी देता है। इस पेपर का मकसद किसी टॉपिक पर चर्चा या सुझाव देना और सुझाव लेना भी होता है। इसकी शुरूआत कब हुई इस पर अलग अलग मत हैं, लेकिन माना जाता है कि 1922 में सबसे पहले व्हाइट पेपर आया था।
सरकार के अलावा संस्थाएं भी श्वेत पत्र जारी कर सकती हैं। ये उन्हें आगे की रूपरेखा बनाने में मदद करता है। इसके अलावा कई बार किसी विवाद की स्थिति में भी श्वेत पत्र जारी होता है, जैसे कोरोना के दौरान आरोप लगने पर चीन ने जारी किया था।
क्या है ब्लैक पेपर?
केंद्र सरकार के व्हाइट पेपर के खिलाफ विपक्ष ने ब्लैक पेपर निकाल दिया। इसमें सरकार पर कई आरोप लगाए गए हैं।
ब्लैक पेपर में मुद्दे या नीति का विश्लेषण होता है, और अपनी राय भी दी जाती है। यहां आपको बताना जरूरी है कि ब्लैक पेपर चुनौती देने वाला होका है। जिसमें वर्तमान नीतियों में चेंज की बात और ऑप्शन भी सुझाए जाते हैं.