विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन मुद्दे पर लोकसभा में 3 दिसंबर को बयान दिया। एस जयशंकर ने 1962 के संघर्ष का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान की ओर से कब्जाई गई भारतीय जमीन चीन को दिया गया। उन्होंने गलवान की घटना के बाद एलएसी पर जारी तनातनी का उल्लेख करते हुए कहा कि पैट्रोलिंग बंद थी।
हमारी सेना मुस्तैद है…
कूटनीतिक पहल से एलएसी पर हालात सुधरे हैं। दोनों देश हालात सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एलएसी पर हालात सामान्य हैं। चीन से बातचीत जारी है लेकिन हमारी सेना मुस्तैद है। सहमति से ही मसलों का समाधान होगा। समझौतों का पालन पूरी तरह से होना चाहिए. कोई भी पक्ष स्थिति से छेड़छाड़ नहीं करेगा।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में कहा कि सीमा विवाद पर चर्चा लगातार जारी है। शांति के लिए साझा प्रयास जारी हैं। सीमा पर शांति से ही रिश्ते अच्छे होंगे। कमांडर स्तर की बातचीत हुई। सीमा विवाद सुलझाने को प्रतिबद्ध हैं। मैंने चीनी विदेश मंत्री से बात की। रक्षा मंत्री ने भी चीनी रक्षा मंत्री से बात की। आसियान के सम्मेलन में दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात हुई।
यह भी पढ़ें: भारतीय न्याय संहिता का मूल मंत्र है- नागरिक प्रथम: पीएम मोदी
पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से डिसइंगेजमेंट हो चुका
एस जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ डिसइंगेजमेंट पर बात हुई। पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से डिसइंगेजमेंट हो चुका है। तनाव वाले इलाकों में डिसइंगेजमेंट पर हमारा फोकस है। विदेश मंत्री ने सीमा सड़क संगठन की ओर से बनवाए गए रोड और टनल का जिक्र भी अपने बयान में किया और कहा कि सरकार सीमा की सुरक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। राष्ट्रीय सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है।
You have remarked very interesting points! ps decent site.