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भारतीय न्याय संहिता का मूल मंत्र है- नागरिक प्रथम: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि जब देश विकसित भारत का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है, जब संविधान के 75 वर्ष हुए हैं, तब संविधान की भावना से प्रेरित 'भारतीय न्याय संहिता' के प्रभाव का प्रारंभ होना, बहुत बड़ी बात है।

Gautam Rishi by Gautam Rishi
3 December 2024
in भारत
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भारतीय न्याय संहिता का मूल मंत्र है- नागरिक प्रथम: पीएम मोदी - Panchayati Times

पीएम मोदी

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पीएम मोदी ने कहा कि जब देश विकसित भारत का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहा है, जब संविधान के 75 वर्ष हुए हैं, तब संविधान की भावना से प्रेरित ‘भारतीय न्याय संहिता’ के प्रभाव का प्रारंभ होना, बहुत बड़ी बात है। देश के नागरिकों के लिए हमारे संविधान ने जिन आदर्शों की कल्पना की थी, उन्हें पूरा करने की दिशा में ये ठोस प्रयास है। उन्होंने सभी देशवासियों को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के लागू होने की अनेक-अनेक शुभकामनाएं भी दी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 1947 में, सदियों की गुलामी के बाद जब हमारा देश आजाद हुआ, पीढ़ियों के इंतजार के बाद, लोगों के बलिदानों के बाद, जब आजादी की सुबह आई, तब कैसे-कैसे सपने थे, देश में कैसा उत्साह था। देशवासियों ने सोचा था कि अंग्रेज गए हैं, तो अंग्रेजी कानूनों से भी मुक्ति मिलेगी। अंग्रेजों के अत्याचार के, उनके शोषण का जरिया ये कानून ही तो थे। ये कानून ही तब बनाए गए थे, जब अंग्रेजी सत्ता भारत पर अपना शिकंजा बनाए रखने के लिए कुछ भी करने को तैयार थी।

भारतीय न्याय संहिता लोकतंत्र की भावना को सशक्त कर रही: पीएम

पीएम ने कहा कि हमारी न्याय संहिता लोगों का, लोगों के द्वारा, लोगों के लिए के उस भावना को सशक्त कर रही है, जो लोकतंत्र का आधार होती है। भारतीय न्याय संहिता का मूल मंत्र है- नागरिक प्रथम। ये कानून नागरिक अधिकारों के रक्षा करने वाले बन रहे हैं, ‘न्याय में आसानी’ का आधार बन रहे हैं। पहले FIR करवाना भी कितना मुश्किल होता था, लेकिन अब जीरो FIR को भी कानूनी रूप दे दिया गया है।

1857 में देश का पहला बड़ा स्वधीनता संग्राम लड़ा गया। उस 1857 के स्वतंत्रता संग्राम ने अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला दी थीं, तब जाकर 1860 में अंग्रेज इंडियन पीनल कोड यानी आईपीसी लाए। उसके कुछ साल ​बाद, इंडियन पीनल एक्ट लाया गया यानी सीआरपीसी का पहला ढांचा अस्तित्व में आया। इस कानूनों की सोच व मकसद यही था कि भारतीयों को दंड दिया जाए, उन्हें गुलाम रखा जाए। दुर्भाग्य देखिए, आजादी के बाद दशकों तक हमारे कानून उसी दंड संहिता और पीनल माइंड सेट के इर्द गिर्द ही मंडराते रहे, जिसका इस्तेमाल नागरिकों को गुलाम मानकर होता रहा।

तीनों नए कानून को क्रियान्वित करने वाला पहला यूनिट बना चंडीगढ़

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश की आपराधिक प्रणाली के लिए एक स्वर्णिम अवसर है। आज का दिन हमारी आपराधिक प्रणाली में स्वर्ण अक्षरों से अंकित किया जाएगा। आज भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को पूर्णतय: क्रियान्वित करने वाला पहला यूनिट हमारा चंडीगढ़ बनने जा रहा है।

यह भी पढ़ें: ई-श्रम पोर्टल को कई पोर्टल/योजनाओं से जोड़ा गया

गृह मंत्री ने कहा कि इससे पहले जो कानून थे, वो 160 साल पहले अंग्रेजों द्वारा बनाए गए थे और नागरिकों की जगह अंग्रेजों के शासन की सुरक्षा के लिए बनाए गए​ थे। मोदी जी द्वारा ये जो कानून लाए गए हैं, ये भारतीयों द्वारा, भारत की संसद में और भारतीयों को न्याय व सुरक्षा दिलाने के लिए बनाए गए हैं। पीएम श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सरकार के सभी विभागों से एक आग्रह किया कि हमारे प्रशासन से गुलामी के सभी चिन्हों को समाप्त कर नए भारत की सोच को प्रत्यापित करना चाहिए।

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Gautam Rishi
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Tags: गृह मंत्री अमित शाहचंडीगढ़पीएम मोदीभारतीय नागरिक सुरक्षा संहिताभारतीय न्याय संहिताभारतीय साक्ष्य अधिनियम
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