कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने राज्यसभा में कहा कि मोदी सरकार ने कृषि की प्राथमिकताएं बदल दीं. हमारी छह प्राथमिकताएं हैं- उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, ठीक दाम देना, कृषि का विविधीकरण और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी धरती सुरक्षित रहे इसके लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का प्रयास. ये सरकार खेती का रोडमैप बनाकर काम कर रही है.
शिवराज सिंह ने कहा कि 2013-14 में कृषि का बजट 27664 करोड़ रुपये था. ये बढ़कर आज एक लाख 32 हजार करोड़ है. इसमें फर्टिलाइजर, सहकारिता, डेयरी, फिशरीज इन सबको जोड़ दिया जाए तो इसमें 1 लाख 46 हजार 55 करोड़ और जुड़ेगा. जलशक्ति मंत्रालय अलग है जो सिंचाई के प्रबंध में लगा है. उत्पादन बढ़ाना है तो पहली प्राथमिकता सूखे खेतों में पानी पहुंचाने की. बिना पानी के खेती नहीं होगी. कांग्रेस की सरकारों ने कभी उतनी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया. प्रधानमंत्री सिंचाई योजना पर भी काम चल रहा है और सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं पर भी काम चल रहा है.
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कृषि मंत्री ने उत्पादन में वृद्धि के आंकड़े भी गिनाए और यूपीए सरकार के आंकड़े भी बताए. शिवराज ने कहा कि एक पैकेट यूरिया आज किसान को मात्र 266 रुपये में उपलब्ध कराया जा रहा है. 2100 रुपये सरकार सब्सिडी दे रही है. डीएपी पर भी सब्सिडी का आंकड़ा गिनाते हुए शिवराज ने कहा कि मैं वर्षवार बता सकता हूं. फर्टिलाइजर की सब्सिडी में बजट के प्रावधान के अलावा भी पैसा देना पड़ता है तो सरकार देती है. अभी अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों के कारण घूमकर आना पड़ा, कीमत बढ़ रही थी. हमने बढ़ी कीमत का भार किसान पर नहीं पड़ने दिया और स्पेशल पैकेज दिया.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पिछली सरकार को पानी का महत्व नहीं मालूम था. इस योजना में सरकार ने 23-24 तक 14-15 तक 21 हजार 615 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. उन्होंने मसूर से लेकर चना और तुअर की खरीद तक के आंकड़े गिनाए और कहा कि दलहन में आत्मनिर्भर बनना है और आयात पर निर्भरता समाप्त करना है. सरकार ने फैसला किया है कि एमएसपी पर पूरी की पूरी खरीदी जाएगी, जितना भी किसान उत्पादन करेंगे.
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एग्री इंफ्रा फंड में 40 हजार 80 करोड़ रुपये स्वीकृत हो गए
मोदी सरकार में एग्री इंफ्रा फंड बना और किसान का उत्पाद रखने के लिए बेहतर व्यवस्था पर ध्यान दिया गया. सुरजेवालाजी पता नहीं कौन से साल के आंकड़े पढ़ रहे थे. 26 जुलाई 2024 तक 40 हजार 80 करोड़ रुपये स्वीकृत हो गए. 76 हजार करोड़ से अधिक का इन्वेस्टमेंट हो चुका है. उन्होंने छंटाई और ग्रेडिंग इकाइयों से लेकर कोल्ड स्टोरेज के निर्माण के आंकड़े गिनाए और कहा कि किसान को ठीक दाम मिले, इसके लिए नवाचारों की भी जरूरत है.