Gram Panchayat Khedawada: भारत में 2021 की जनगणना के अनुसार करीब 6,28,221 गांव हैं। हर गांव के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार से कई योजनाएं चलाई जाती हैं। इन योजनाओं को लागू करना पंचायत का दायित्व होता है। कई पंचायतें इसे सुचारू रूप से लागू करते हैं जिससे गांव का विकास होता है और गांव वालों को मूलभूत सुविधाएं मिलती हैं।
‘स्वस्थ्य पंचायत’ के इस क्रम में हम आज आपको एक ऐसी पंचायत के बारे में बताने जा रहे हैं जहां का गांव आज सबके लिए मिसाल बन चुका है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के बड़नगर तहसील का खेड़ावदा गांव की। बड़नगर तहसील की ग्राम पंचायत ने गांव को आत्मनिर्भर और साफ-सुथरा बनाने के लिए एक अनोखी पहल की शुरुआत की। ग्राम पंचायत ने ‘ओडीएफ प्लस’ मॉडल अपना कर विकास के नए आयाम गढ़े हैं।
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बता दें कि उज्जैन जिले में 726 ओडीएफ प्लस मॉडल गांव हैं जिनमें से खेड़ावदा गांव भी है। यहां की ग्राम पंचायत ओडीएफ प्लस ग्राम की निरंतरता बनाए रखने हेतु स्वच्छता के साथ कई अन्य बातों का भी ध्यान रखती है, जो एक स्वच्छ सुजल आत्मनिर्भर ग्राम निर्मित होने में सहायक होता है। गांव में बारिश के पानी की निकासी के लिए सी.सी. रोड, सामुदायिक स्वच्छता परिसर और आर.सी.सी. नालियों का निर्माण किया गया है।
क्या है ये योजना?
खेड़ावदा गांव के सरपंच बताते हैं कि यहां के लोगों ने स्वच्छता को अपनी आदत बना ली है। इसके लिए गांव के ही बच्चे और महिला समूह घर-घर जाकर सूखा और गीला कूड़ा बीनते हैं और लोगों को भी इसके बारे में जागरुक करते हैं। गीले कचरे से खेतों के लिए खाद बनाई जाती है तो सूखे कचरे को बेचकर सफाईकर्मियों की सैलरी का इंतजाम किया जाता है। गांव के हर घर में डस्टबिन रखना अनिवार्य कर दिया गया है।
ग्राम पंचायत ने मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए भी उचित व्यवस्था की है। जिसके लिए गांव में आर.ओ. प्लांट और पेयजल टंकी बनाई गई है। इस योजना के तहत सिर्फ छह रुपए में कोई भी पूरे महीने के लिए स्वच्छ पानी ले सकता है।
स्मार्ट क्लास की व्यवस्था
गांव के स्कूलों में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की गई है। जिसके माध्यम से बच्चों को पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन और स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जाता है।
खेड़ावदा गांव एक आदर्श गांव का उदाहरण है। खेड़ावदा गांव ने ये साबित कर दिया है कि मेहनत और प्रयासों से स्वच्छ, सुजल और आत्मनिर्भर बना जा सकता है।
क्या है ओडीएफ प्लस (ODF Plus) मॉडल?
ODF Plus का अर्थ है “Open Defecation Free Plus”, यानी खुले में शौच से मुक्त होने के बाद स्थायी स्वच्छता और स्वच्छ वातावरण बनाए रखना। यह मॉडल भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत स्वच्छता की नई ऊंचाइयों तक पहुंचने का प्रयास है।
ODF Plus का उद्देश्य
संपूर्ण स्वच्छता: सिर्फ खुले में शौच से मुक्त होने तक सीमित नहीं, बल्कि ठोस और तरल कचरा प्रबंधन, व्यक्तिगत और सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग सुनिश्चित करना।
पर्यावरण संरक्षण: कचरे का प्रबंधन और पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) के माध्यम से पर्यावरण को सुरक्षित रखना।
सामुदायिक भागीदारी: ग्रामीण समुदायों को जागरूक और सशक्त बनाना ताकि वे स्वच्छता के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभा सकें।
ODF Plus के फायदे
स्वास्थ्य में सुधार: बेहतर स्वच्छता से बीमारियों में कमी आती है।
पर्यावरण संरक्षण: कचरे और जल का सही प्रबंधन पर्यावरण को बचाता है।
सामाजिक विकास: स्वच्छता में सुधार से महिलाओं और बच्चों की जीवन गुणवत्ता बेहतर होती है।
आर्थिक लाभ: कचरे से खाद और पुनर्चक्रित पानी का उपयोग कृषि और अन्य क्षेत्रों में किया जा सकता है।
सरकार की पहल
सरकार ने 2024 तक सभी गांवों को ODF Plus बनाने का लक्ष्य रखा है।
पंचायती राज संस्थाओं और स्वच्छता समितियों के माध्यम से इस कार्यक्रम को लागू किया जा रहा है।