भीषण गर्मी के बीच महंगाई एक बार फिर आम लोगों को सताने लगी है। पिछले एक साल में खाद्य वस्तुओं के दाम 65 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। सब्जियों की कीमतें इतनी ज्यादा बढ़ गई हैं कि अधिकतर रसोई घरों से अब ये गायब होने लगी हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक, प्याज, आलू और टमाटर की कीमतें सबसे अधिक बढ़ी हैं। इनके अलावा, चावल, दाल और खाने-पीने की अन्य वस्तुएं भी महंगी हुई हैं।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर उलपब्ध आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 21 जून को चावल की कीमत 40 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो अच बढ़कर 45 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गई है। मूंग दाल की कीमत 109 रुपये से 10 फीसदी बढ़कर 119 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। मसूर दाल 92 रुपये से बढ़कर 94 रुपये और चीनी का भाव 43 रुपये से बढ़कर 45 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है। दूध भी 58 रुपये से बढ़कर 59 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है।
सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि महंगाई लगातार नए रिकॉर्ड बना रही है। पर एक तिहाई प्रधानमंत्री जी बिलकुल बेपरवाह और बेफ़िक्र हैं। वो महंगाई का ‘म’ भी नहीं बोलते। बढ़ती बेरोजगारी के बीच तेज महंगाई से जनता पर दोहरी मार दी जा रही है। उन्होंने पूछा कि कब तक जनता महंगाई की मार सहेगी? जवाब दें ‘महंगाई मौन’ मोदी जी।
हालांकि, इस दौरान खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आई है। मूंगफलीतेल का दाम करीब-करीब स्थिर है। सरसों तेल का भाव 142 रुपये से घटकर 139 रुपये लीटर, सोया तेल 132 से घटकर 124 रुपये लीटर रह गया है। पाम तेल की कीमत 106 से गिरकर 100 रुपये पर आ गई है। चाय की कीमत भी 274 रुपये से मामूली बढ़कर 280 रुपये के स्तर पर पहुंच गई है।
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खाद्य कीमतों के कारण खुदरा महंगाई घटने की रफ्तार सुस्त
खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने से कुल खुदरा महंगाई घटने की रफ्तार सुस्ती है। शुक्रवार को जारी एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) मिनट्स के मुताबिक, आरवीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस माह की शुरुआत में एमपीसी बैठक में कहा था, मुख्य खुदरा महंगाई घट रही है, लेकिन इसकी गति धीमी है और मुद्रास्फीति में गिरावट का अंतिम चरण धीरे-धीरे लंबा खिंचता जा रहा है। हालांकि, सामान्य मानसून हो मूल्य दबाव को कम कर सकता है