बीते कुछ दिनों में सोने की कीमतों में तेज गिरावट देखने को मिली है, जिसने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। 22 अप्रैल को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सोने ने 99,358 रुपये प्रति 10 ग्राम का उच्चतम स्तर छुआ था, लेकिन इसके बाद से इसमें करीब 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। अब ऐसा लग रहा है कि सोने की कीमतें अपनी 50-दिन की मूविंग एवरेज के नीचे बंद हो सकती हैं, जो तकनीकी रूप से एक बड़े ट्रेंड रिवर्सल का संकेत हो सकता है।
16 से 20 मई: बाजार के लिए निर्णायक वक्त
Axis Securities का मानना है कि सोने की मौजूदा चाल एक निर्णायक मोड़ पर है। 16 मई से 20 मई के बीच का समय बेहद अहम माना जा रहा है, जहां कीमतों में या तो बड़ी गिरावट या फिर तेज़ रिकवरी देखने को मिल सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में 3,136 डॉलर का स्तर एक महत्वपूर्ण सपोर्ट के रूप में देखा जा रहा है। अगर यह स्तर टूटता है, तो कीमतें 2,875 से 2,950 डॉलर तक गिर सकती हैं। इसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ेगा, और कीमतें 88,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक लुढ़क सकती हैं।
वैश्विक फैक्टर: फेड की नीति और बॉन्ड यील्ड का असर
सोने की गिरावट के पीछे वैश्विक आर्थिक संकेतकों की भूमिका भी अहम रही है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में तत्काल कटौती की संभावना कम होती जा रही है, जिससे सोने में निवेश की धारणा कमजोर पड़ी है। इसके अलावा बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों में कुछ हद तक नरमी आने से भी सोने की सुरक्षित निवेश के रूप में मांग घट रही है।
गिरावट का दबाव जारी
Augmont की रिपोर्ट के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 3,200 डॉलर के डबल-टॉप सपोर्ट के टूटने के बाद सोना और दबाव में आ गया है। भारतीय बाजार में भी इसकी कीमतें अब 87,000 से 88,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंच सकती हैं। वहीं 92,000 रुपये का स्तर अब इसके लिए प्रमुख सपोर्ट बन गया है, जबकि 94,000 रुपये इसका रेजिस्टेंस है। तकनीकी विश्लेषण के अनुसार, बाजार की मौजूदा धारणा नकारात्मक बनी हुई है।
लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए मौका
हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि यह गिरावट लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए एक अच्छा मौका हो सकता है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और मुद्रास्फीति के खतरे के बीच, दीर्घकालिक रूप से सोना अब भी एक मजबूत संपत्ति वर्ग माना जा रहा है। लेकिन अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था अपेक्षा से तेज़ी से सुधरती है, तो सोने में और गिरावट आ सकती है और यह 3,000 डॉलर से नीचे आ सकता है।
निवेशकों के लिए सलाह: सोच-समझकर कदम उठाएं
वर्तमान अस्थिर माहौल में विशेषज्ञों की सलाह है कि निवेशकों को जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए। शॉर्ट टर्म में बाजार जोखिमपूर्ण बना हुआ है, ऐसे में केवल अनुभवी और सतर्क निवेशकों को ही इसमें भागीदारी करनी चाहिए। लॉन्ग टर्म नजरिया रखने वाले निवेशक इस गिरावट को निवेश का अवसर मान सकते हैं, लेकिन उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार संकेतों, अमेरिकी फेड की नीतियों और तकनीकी स्तरों पर लगातार नज़र बनाए रखनी होगी।
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सोने की कीमतों में आई गिरावट निवेशकों के लिए चेतावनी भी है और अवसर भी। बाजार अब एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां छोटी-सी खबर भी कीमतों को बड़ा झटका दे सकती है। ऐसे में सोच-समझकर और विशेषज्ञों की राय के आधार पर ही निवेश करना ही समझदारी होगी।