आ रही है मार्गशीर्ष अमावस्या जो आपको याद दिलाएगी आपके एक विशेष कर्तव्य के प्रति. और यदि आपने इस कर्तव्य को निभाया तो आपको मिल सकती है पितृ दोष से मिलेगी राहत
और इस तरह आपके पितर भी आपसे हो जायेंगे प्रसन्न.
Margashirsha Amavasya 2024: मार्गशीर्ष अमावस्या ख़ास है इस बार और इसके ख़ास होने की वजह है शनिश्चरी अमावस्या. इस दिन शनिश्चरी अमावस्या एक विशेष संयोग बनाने जा रही है. इस संयोग को दृष्टि में रख कर यदि हम कुछ खास उपाय करते हैं तो ये उपाय हमें पितृ-दोष से राहत मिल दिला सकते हैं.
Margashirsha Amavasya 2024 Upay: हमारे सनातन धर्म में मार्गशीर्ष अमावस्या को ख़ास धार्मिक और पौराणिक महत्व है. इसके पीछे का कारण ये है कि मार्गशीर्ष का महीना भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है. इस कारण इस माह में पड़ने वाली अमावस्या भी अपना विशेष महत्व रखती है.
हमारे धर्म में मान्यता ये है कि मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन यदि हम विधि-विधान से पूजा-पाठ करते हैं तो हमारे रुके हुआ काम पूरे हो जाते हैं. इतना ही नहीं हमे भगवान विष्णु की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है. पंचांग कहता है कि इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या 30 नवंबर को पड़ रही है. इस दिन गंगा जमुना गोदावरी जैसी पवित्र नदी में स्नान करने और दान करने का ख़ास महत्व बताया गया है. इसके अतिरिक्त इस दिन यदि आप पितरों की कृपा प्राप्त करना चाहें तो आपको तर्पण, पिंडदान और दान आदि कार्य करने होते हैं.
चलिए हम जानते हैं, मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए हमें क्या करना चाहिए.
इस दिन है मार्गशीर्ष अमावस्या
यदि पंचांग पर दृष्टि डालें तो मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि का श्रीगणेश 30 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से होगा. होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 1 दिसंबर को प्रातःकाल 11 बजकर 50 मिनट पर होगा. इस स्थिति में मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने का दिन 30 नवंबर होगा. वहीं स्नान और दान करना है तो उसके लिए 1 दिसंबर के दिन का उपयोग किया जा सकता है. वहीं, पितरों के लिए होने वाले तर्पण और पूजा-पाठ हेतु 30 नवंबर का दिन ही सर्वोत्तम है. इस दिन ही वर्ष की अंतिम शनिश्चरी अमावस्या का भी योग बन रहा है.
ये है मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व
सर्वविदित है कि सनातन धर्म अमावस्या की तिथि को विशेष महत्व देता है. इस दिन को पितरों के स्मरण और उनको सम्मान देने के लिए नियत किया गया है. इतना ही नहीं, इस दिन पितृ दोष से बचने और पितरों की कृपा प्राप्त करने के लिए पिंडदान एवं तर्पण किए जाते हैं. इसके अतिरिक्त अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा भी अपना एक विशेष महत्व रखती है. ऐसा माना जाता है कि यदि इस दिन कुछ खास उपाए किये जाएँ तो शनिदेव के प्रकोप से मुक्ति मिल सकती है.
पितरों को प्रसन्न करने के लिए ऐसा करें
पितर प्रसन्न होते हैं तो उनकी कृपा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है. इसके लिए मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना लाभकारी होता है.
शनि की प्रसन्नता भी आवश्यक है
इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या का संयोग जिस दिन बन रहा है उस दिन शनिवार है. इसलिए, इस दिन शनि की प्रिय वस्तुओं का दान करना आपके लिए शुभकारी है. इसलिए इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या पर आपको काली उड़द,काले तिल, काले वस्त्रों एवं काले छाते इत्यादि वस्तुओं का दान करना चाहिए.
पितृ कवच एवं पितृ स्तोत्र का पाठ भी
ध्यान रखें, मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन आप विधि-विधान से पूजन करें. पूजन के साथ ही आपको पितृ कवच एवं पितृ स्तोत्र का पाठ भी करना है. शनिश्चरी अमावस्या के दिन यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको पितृ देव की प्रसन्नता प्राप्त होगी और जो भी पितृ-दोष आपके जीवन में समस्याएं उतपन्न कर रहे हैं, उनसे राहत मिल सकेगी.