जंग से जंग की आग नहीं बुझती. ये बात ईरानी नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को समझनी होगी. नया जंगी मोर्चा खड़ा करेंगे तो ये आग दुनिया भर में फैलेगी. दुनिया को जंग का मैदान बनाने का सामान तैयार करना समझदारी नहीं होगी.
ईरानी नेता ख़ामेनेई ने हाल ही में आव्हान किया है कि दुनिया के सभी मुस्लिम देश इजरायल के खिलाफ एकजुट हो जाएँ. उन्होंने ये भी कहा था कि ये वक्त आपसी मतभेदों का नहीं है. हमारा आज एक-दूसरे के साथ खड़ा होना ज्यादा जरूरी है.
मुस्लिम नाटो के निर्माण की कोशिश
आज भारत में ही नहीं दुनिया के कई हिस्सों में अंदर और बाहर तनाव तेजी के साथ बढ़ रहा है. हालात इशारा कर रहे हैं कि आने वाले समय में परिस्थितियां बहुत विकराल हो सकती हैं. एक तरफ मिडिल ईस्ट में उथल-पुथल मची है दूसरी तरफ रूस और यूकेन की अजब-गजब जंग चल रही है. ऐसे में दुनिया दो खेमों में बंटती नजर आ रही है. साफ़ तौर पर एक खेमा अमेरिका और NATO देशों के साथ खड़ा है. वहीं दूसरा रूस, ईरान, बेलारूस और उत्तर कोरिया जैसे देशों को जोड़ कर खड़ा है.
ये कोशिश है मुस्लिम देशों की
इन सबके बीच अब अचानक एक तीसरे गुट की सुगबुगाहट भी महसूस होने लगी है. जिसमें सुना जा रहा है कि दुनिया के पच्चीस मुस्लिम देश एक नया युद्ध-मोर्चा तैयार करना चाह रहे हैं. नाटो की तर्ज पर इसे मुस्लिम नाटो बनाने की पुरजोर कोशिश चल रही है. विवादास्पद मुस्लिम स्कॉलर डॉ.जाकिर नाईक इस बड़े काम को अंजाम देने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं और इस समय पाकिस्तान में अपनी मेहमाननवाज़ी करा रहे है. उनकी कोशिश लगातार यही है कि किसी तरह मुस्लिम नाटो बन जाये,
मुस्लिम नाटो अगर बन गया तो ?
दुनिया के बड़े दिमाग इस दिशा में सरपट दौड़ रहे हैं और इस जंगी मोर्चे की सड़क के अगले मुकाम पहचानने की कोशिश कर रहे हैं. उनको लगता है कि यदि मुस्लिम नाटो बनता है तो दुनिया महाविनाश की ओर जा सकती है क्योंकि इस जंगी मोर्चे के बन जाने के बाद तीन महाशक्तियों का टकराव तय है.
मुस्लिम नाटो बनाने की बात के बीच एक सवाल हिंदुस्तानियों के मानस को मथ रहा है कि अगर ये गुट हकीकत के धरातल पर अस्तित्व में आता है तो भारत के लिए कितना खतरा पैदा कर सकता है?
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
बात करें विशेषज्ञों के विचार की तो उनका कहना है कि ये मुस्लिम नाटो सिर्फ एक कोरी कल्पना है. इस कल्पना को हकीकत में बदलना मुमकिन नहीं है. उनका कहना है कि जब बयालीस मुस्लिम देशों की इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेरेरिज्म कोलिशन नामक संस्था अपने मकसद में कामयाब नहीं रही तो पच्चीस देशों वाले मुस्लिम नाटो की अवधारणा कहाँ तक आगे जायेगी ?
IMCTC का नहीं दिखा असर
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है. नौ साल पहले भी एक नाकाम कोशिश मुस्लिम नाटो बनाने हो चुकी है. साल 2015 में इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेरेरिज्म कोलिशन (IMCTC) नामक एक संस्था को वजूद में लाया गया था. इस संस्था के निर्माण के पीछे का उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ मोर्चा खड़ा करना था, लेकिन IMCTC ना ही सीरिया को ISIS से आज़ाद करा पाई और ना ही पाकिस्तान से आतंकवाद का खात्मा कर पाई. सवाल ईमानदार कोशिश का भी तो है.
भारत पर क्या प्रभाव होगा?
मुस्लिम NATO बनने से भारत के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश के संबंध और बिगड़ेंगे. ये दोनों देश जो अंदर ही अंदर भारत से ईर्ष्या करते हैं – खुल कर भारत के विरोध में आ सकते हैं. ये दोनों देश चीन के प्रभाव में आ कर अपनी औकात भूल जाएंगे और भारत से युद्ध छेड़ने की कोशिश में लग जाएंगे. इन दोनों देशों में बचे-खुचे हिन्दू और अल्पसंख्यकों का नरसंहार शुरू हो जायेगा. कश्मीर को फिर से पाने के मंसूबों को हवा मिलेगी और पाकिस्तान के कहने पर इस संगठन में शामिल देश कश्मीर को लेकर भारत पर दबाव बनाने का प्रयास कर सकते हैं.