पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जैकोबाबाद ज़िले के पास मंगलवार सुबह एक बड़ा रेल हादसा उस समय हुआ, जब पेशावर से क्वैटा जा रही जाफर एक्सप्रेस को निशाना बनाकर रेलवे ट्रैक पर धमाका किया गया। इस विस्फोट के कारण ट्रेन की छह बोगियां पटरी से उतर गईं, जिससे यात्रियों में हड़कंप मच गया। हालांकि अब तक किसी के हताहत होने की पुष्टि नहीं हुई है, पर कई यात्रियों के घायल होने की खबरें हैं।
धमाके से ट्रैक बुरी तरह क्षतिग्रस्त
स्थानीय पुलिस के अनुसार, धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि रेलवे ट्रैक पर करीब तीन फुट गहरा गड्ढा बन गया और छह फुट से ज्यादा लंबी पटरियां पूरी तरह चकनाचूर हो गईं। धमाके के बाद ट्रेन अचानक रुक गई, जिससे कई कोचों के पहिए उखड़ गए और यात्री बोगियों में इधर-उधर गिर पड़े।
राहत और बचाव कार्य तेज़ी से चल रहा है। घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है और ट्रेन को पटरी पर लाने के लिए तकनीकी टीमें जुटी हुई हैं। रेलवे और सुरक्षा एजेंसियां संयुक्त रूप से घटना की जांच कर रही हैं।
रेल सुरक्षा पर फिर खड़े हुए सवाल
जाफर एक्सप्रेस पर यह कोई पहला हमला नहीं है। इस रूट को पहले से ही असुरक्षित माना जाता रहा है, खासकर बलूचिस्तान क्षेत्र से होकर गुजरने वाले हिस्से में। जैकोबाबाद और आसपास के इलाकों में अलगाववादी गतिविधियों और सुरक्षा बलों के खिलाफ विद्रोह लंबे समय से जारी हैं, जिससे रेल यात्राओं की सुरक्षा पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।
मार्च 2025 की घटना भी यादगार
गौरतलब है कि इसी वर्ष मार्च में जाफर एक्सप्रेस को बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) के आतंकियों ने हाईजैक कर लिया था। उस घटना में करीब 350 यात्री बंधक बन गए थे। सेना ने लंबा ऑपरेशन चलाकर ट्रेन को छुड़ाया, जिसमें कई लोगों की जान गई थी। BLA ने दावा किया था कि उसने 100 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया, जबकि सेना ने 35 बंधकों की मौत की पुष्टि की थी।
क्या है अगला कदम?
घटना के बाद से रेलवे मंत्रालय और गृह मंत्रालय में आपात बैठकें जारी हैं। इस हमले की अभी तक किसी संगठन ने ज़िम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों का शक फिर BLA और अन्य बलूच विद्रोही गुटों पर है। सरकार ने पूरे रूट की सुरक्षा व्यवस्था की पुनर्समीक्षा के आदेश दे दिए हैं।
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जाफर एक्सप्रेस पर हुआ यह धमाका पाकिस्तान में रेल सुरक्षा की गंभीर स्थिति को उजागर करता है। बार-बार हो रहे हमलों से यह साफ है कि केवल राहत-बचाव से समाधान नहीं होगा, बल्कि स्थायी और रणनीतिक सुरक्षा इंतज़ाम ज़रूरी हैं, ताकि आम नागरिकों की ज़िंदगियां सुरक्षित रह सकें।