वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत के साथ ही देशभर में दवाओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी लागू हो गई है। 1 अप्रैल 2025 से नेशनल फार्मास्युटिकल्स प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने 900 आवश्यक दवाओं की कीमतों में 1.74 प्रतिशत तक की वृद्धि की घोषणा की है।
कौन-कौन सी दवाइयां हुईं महंगी?
इस बढ़ोत्तरी में क्रिटिकल इंफेक्शन, दिल की बीमारी, डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में उपयोग होने वाली दवाइयां शामिल हैं।
मुख्य दवाइयों की नई कीमतें:
- एज़िथ्रोमाइसिन (250mg & 500mg): ₹11.87 और ₹23.98 प्रति टैबलेट
- एमोक्सिसिलिन + क्लेवुलेनिक एसिड सिरप: ₹2.09 प्रति मिलीलीटर
- डाइक्लोफेनेक (पेन किलर): ₹2.09 प्रति टैबलेट
- इबुप्रोफेन (200 mg & 400 mg): ₹0.72 और ₹1.22 प्रति टैबलेट
- डायबिटीज की दवा (डेपाग्लिफ्लोजिन + मेटफॉर्मिन आदि): ₹12.74 प्रति टैबलेट
- एसाइक्लोविर (एंटीवायरल, 200 mg & 400 mg): ₹7.74 और ₹13.90 प्रति टैबलेट
- हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एंटीमलेरियल, 200 mg & 400 mg): ₹6.47 और ₹14.04 प्रति टैबलेट
बढ़ोत्तरी के पीछे का कारण क्या है?
केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के अनुसार, यह वृद्धि ड्रग्स (प्राइस कंट्रोल) ऑर्डर, 2013 (DPCO, 2013) के तहत की गई है। इस आदेश के अनुसार, सभी अनुसूचित दवाओं की कीमतों में होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) के आधार पर हर साल संशोधन किया जाता है।
ड्रग मैन्युफैक्चरर्स को मिली लचीलापन
ध्यान देने योग्य है कि ड्रग मैन्युफैक्चरर्स को WPI के आधार पर इन दवाइयों की अधिकतम खुदरा कीमतों को सरकार की स्वीकृति के बिना बढ़ाने की अनुमति है।
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इसका आम जनता पर क्या असर पड़ेगा?
हालांकि दवाइयों की कीमतों में वृद्धि से कुछ राहत की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन इससे मरीजों के लिए विशेषकर गरीब वर्ग के लिए यह बोझ बन सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को दवाइयों की उपलब्धता और सुलभता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।