राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। कांग्रेस ने मंगलवार को अपने नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी के नाम पर मुहर लगाई। मंगलवार की रात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर इंडिया गठबंधन के सभी नेताओं की मीटिंग हुई जिसमें राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई।
‘विपक्ष का नेता’ मिलने में क्यों लग गए 10 साल?
बता दें कि बीते दो चुनावों में कांग्रेस के पास संसद का 10 प्रतिशत सीट शेयर नहीं था, जिसकी वजह से कांग्रेस अपनी दावेदारी पेश नहीं कर पा रही थी।
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2014 में कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं और 2019 में 52 सीटें थी। लेकिन इस बार कांग्रेस को 99 सीटें मिली हैं। तो इस बार तय था कि कांग्रेस विपक्ष नेता की दावेदारी पेश करेगी।
विपक्ष का नेता चुने जाने के बाद राहुल गांधी ने क्या कहा?
विपक्ष का नेता चुने जाने के बाद राहुल गांधी ने सबसे पहले लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला को बधाई दी। राहुल गांधी ने कहा, “मैं आपको दूसरी बार चुने जाने के लिए बधाई देना चाहता हूं। मैं आपको पूरे विपक्ष और INDIA गठबंधन की तरफ से बधाई देना चाहता हूं। यह सदन भारत के लोगों की आवाज़ का प्रतिनिधित्व करता है और आप उस आवाज़ के अंतिम निर्णायक हैं। सरकार के पास राजनीतिक शक्ति है लेकिन विपक्ष भी भारत के लोगों की आवाज़ का प्रतिनिधित्व करता है और इस बार विपक्ष ने पिछली बार की तुलना में भारतीय लोगों की आवाज़ का अधिक प्रतिनिधित्व किया है।
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विपक्ष आपके काम करने में आपकी सहायता करना चाहेगा। हम चाहते हैं कि सदन अक्सर और अच्छी तरह से चले।
यह बहुत महत्वपूर्ण है कि विश्वास के आधार पर सहयोग हो। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि विपक्ष की आवाज़ को इस सदन में प्रतिनिधित्व दिया जाए। हमें विश्वास है कि विपक्ष को बोलने की अनुमति देकर, हमें भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति देकर, आप भारत के संविधान की रक्षा करने का अपना कर्तव्य निभाएंगे। मैं एक बार फिर आपको और सदन के सभी सदस्यों को बधाई देना चाहता हूं जिन्होंने चुनाव जीता है।”
राहुल गांधी के लोकसभा में विपक्ष के नेता चुने जाने पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा, “राहुल गांधी के विपक्ष का नेता चुने जाने से सिर्फ़ कांग्रेस ही नहीं बल्कि पूरा विपक्ष ऊर्जा से भर गया है। राहुल गांधी ने हमेशा इस सरकार को चुनौती दी है और पारदर्शिता के लिए लड़ाई लड़ी है… विपक्ष की उम्मीदें बढ़ गई हैं… परंपरा रही है कि अगर अध्यक्ष
बिना चुनाव के चुना जाता है, तो उपाध्यक्ष विपक्ष का होता है… यह सरकार गठबंधन की सरकार है… एनडीए ने सरकार तो बना ली है लेकिन भविष्य में क्या होगा, यह कोई नहीं जानता। दो बड़े सहयोगियों की मदद से सरकार बनी है… भविष्य में क्या स्थिति बनेगी, यह कहना मुश्किल है।”