राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि जब तक प्रस्तावित ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं की जातीं, तब तक इन पंचायतों के गठन की अधिसूचना जारी न की जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई 2025 को होगी।
न्यायमूर्ति दिनेश मेहता की एकल पीठ ने यह आदेश पंचायत पुनर्गठन को चुनौती देने वाली लगभग 50 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जारी किया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा 10 जनवरी 2025 को जारी दिशा-निर्देशों की अवहेलना करते हुए पंचायतों का गठन किया जा रहा है।
याचिकाकर्ताओं की आपत्तियाँ: पारदर्शिता और वैधता पर सवाल
याचिकाओं में प्रमुख आपत्तियाँ इस प्रकार हैं:
- पारदर्शिता की कमी: पंचायतों के पुनर्गठन में ग्रामों को जोड़ने और हटाने की प्रक्रिया स्पष्ट नहीं रही।
- अनुचित चयन: कई स्थानों पर मुख्यालय ऐसे गांवों में प्रस्तावित हैं जो दूरस्थ, कम जनसंख्या वाले, या बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
- भूमि की अनुपलब्धता: कुछ प्रस्तावित मुख्यालयों पर पंचायत भवन निर्माण के लिए उपयुक्त भूमि तक नहीं है।
- विधिक मान्यता नहीं: कुछ गांव अब तक राजस्व ग्राम के रूप में अधिसूचित नहीं हैं या उन पर पूर्व में अधिसूचना रद्द हो चुकी है।
- राजनीतिक हस्तक्षेप: प्रस्तावों में कुछ निर्णय राजनीतिक पूर्वाग्रह से प्रेरित प्रतीत होते हैं, और आशंका है कि कलक्टरों की असहमति को नजरअंदाज किया जा सकता है।
राज्य सरकार का पक्ष: समिति कर रही है परीक्षण
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने अदालत को बताया कि सभी प्रस्ताव प्रारंभिक स्तर पर हैं। इन्हें जांचने के लिए एक तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है, जो जिला कलक्टरों से प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण कर रही है। कलक्टरों को भी निर्देश दिए गए हैं कि ग्रामीणों की आपत्तियों पर समुचित विचार के बाद ही प्रस्ताव भेजें।
कोर्ट का निर्देश: निष्पक्ष निर्णय जरूरी
कोर्ट ने भरोसा जताया कि जिला कलक्टर आपत्तियों पर निष्पक्ष विचार करेंगे। साथ ही, यह निर्देश भी दिया कि याचिकाओं में उठाई गई सभी आपत्तियों की सूची महाधिवक्ता कार्यालय के माध्यम से समिति को सौंपी जाए। समिति को यह भी कहा गया कि वह:
- 10 जनवरी 2025 के दिशा-निर्देशों
- और कोर्ट द्वारा इंगित बिंदुओं के आधार पर सभी प्रस्तावों का निष्पक्ष मूल्यांकन करे।
अगली सुनवाई 7 जुलाई को
हाईकोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 7 जुलाई 2025 निर्धारित की है। तब तक राज्य सरकार कोई भी अधिसूचना जारी नहीं कर सकती, जिससे प्रस्तावित ग्राम पंचायतों का गठन प्रभावी हो।
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राजस्थान हाईकोर्ट का यह निर्णय राज्य में पंचायत पुनर्गठन की प्रक्रिया को न्यायिक निगरानी में लाता है और यह सुनिश्चित करता है कि निर्णय पारदर्शिता, निष्पक्षता और विधिक मानकों के अनुरूप हों। यह आदेश उन ग्रामीणों के लिए आश्वासन है जो मानते हैं कि प्रशासनिक निर्णयों में उनकी आवाज़ को अनसुना किया गया है।