भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाई देने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) परियोजना को विशेष मंजूरी प्रदान की है। यह निर्णय आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत लिया गया है, जिसका लक्ष्य भारत को रक्षा क्षेत्र में तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाना है।
क्या है AMCA प्रोजेक्ट?
AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) भारत का पहला स्वदेशी 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान होगा, जिसे भारतीय वायुसेना की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की वैमानिकी विकास एजेंसी (ADA) द्वारा किया जा रहा है।
यह विमान उन्नत तकनीकों से लैस होगा जैसे:
- स्टील्थ डिजाइन – दुश्मन के रडार से बचने की क्षमता
- सुपरक्रूज़ क्षमता – बिना आफ्टरबर्नर के ध्वनि की गति से तेज उड़ान
- AESA रडार – एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक करने वाला रडार
- AI-सक्षम कॉम्बैट सिस्टम – युद्ध के दौरान तेज़ निर्णय लेने में मदद
- मल्टी-रोल हथियार प्रणाली – हवा से हवा और हवा से ज़मीन दोनों तरह के मिशन में सक्षम
कार्यान्वयन मॉडल में क्या है नया?
रक्षा मंत्रालय ने AMCA के विकास के लिए एक नई साझेदारी मॉडल को मंजूरी दी है, जिसमें निजी और सार्वजनिक कंपनियों को समान अवसर दिए जाएंगे। ADA इस कार्यक्रम को उद्योग भागीदारों के साथ मिलकर चलाएगी।
- EOI (Expression of Interest): जल्द ही ADA इच्छुक कंपनियों से EOI आमंत्रित करेगी।
- कंपनियां स्वतंत्र रूप से, संयुक्त उद्यम (JV) या कंसोर्टियम के रूप में भाग ले सकती हैं।
- चयन प्रक्रिया पूरी तरह प्रतिस्पर्धात्मक होगी और सभी को बराबरी का मौका मिलेगा।
AMCA की तकनीकी विशेषताएं
विशेषता | विवरण |
---|---|
वजन वर्ग | मध्यम (लगभग 25 टन) |
गति | मैक 1.8+ |
रेंज | 1,000 किमी से अधिक |
हथियार | Astra, BrahMos-NG जैसी उन्नत मिसाइलें |
इंजन | प्रारंभिक संस्करण में GE F414, बाद में स्वदेशी AL-51 |
रडार | AESA रडार तकनीक |
AI प्रणाली | स्वचालित निर्णय लेने की क्षमता |
AMCA का विकास और समयसीमा
दो चरणों में AMCA कार्यक्रम पूरा होगा
- AMCA Mk1 – GE F414 इंजन के साथ, 2027 तक पहला प्रोटोटाइप उड़ान के लिए तैयार होगा।
- AMCA Mk2 – स्वदेशी इंजन और AI-आधारित सिस्टम के साथ, 2030 के बाद उत्पादन में आएगा।
ADA ने डिज़ाइन कार्य पूरा कर लिया है और अब प्रोटोटाइप निर्माण की ओर कदम बढ़ाया जा रहा है। उम्मीद है कि 2030 तक भारतीय वायुसेना में इसकी पहली स्क्वाड्रन शामिल हो जाएगी।
रणनीतिक और आर्थिक महत्व
- आत्मनिर्भरता: विदेशी विमानों (जैसे राफेल और सुखोई) पर निर्भरता कम होगी।
- रोजगार: निजी और सार्वजनिक भागीदारी से तकनीकी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा: AMCA चीन के J-20 और पाकिस्तान के Project AZM जैसे विमानों को टक्कर देगा।
- निर्यात की संभावना: भविष्य में भारत खुद लड़ाकू विमानों का निर्यातक बन सकता है।
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AMCA परियोजना भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह कदम भारत के एयरोस्पेस क्षेत्र को वैश्विक मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करने की दिशा में एक साहसिक पहल है। स्वदेशी तकनीक, उद्योग सहयोग और रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ AMCA आने वाले वर्षों में भारतीय वायुसेना की रीढ़ बन सकता है।