कांग्रेस ने सोनिया गांधी को राज्यसभा उम्मीदवार बनाने का आधिकारिक एलान कर दिया है। इसी के साथ सोनिया गांधी ने एक तरह से चुनावी राजनीति से सन्यास ले ली है। वो राजस्थान से राज्यसभा की उम्मीदवार बनी है। अपना नामांकन दाखिल करने के लिए वो राजस्थान पहुंच भी गई है। इसके अलावा कांग्रेस ने तीन और नामों का एलान किया है। बिहार से अखिलेश प्रसाद सिंह, हिमाचल प्रदेश से अभिषेक मनु सिंघवी और महाराष्ट्र से चंद्रकांत हंडोरे को कांग्रेस ने राज्यसभा के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है।
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क्या कारण है सोनिया गांधी के राज्यसभा में जाने का ?
सोनिया गांधी का राज्यसभा से उम्मीदवार बनते ही चुनावी राजनीति का अंत हो गया। सोनिया गांधी का राज्यसभा जाने का कारण अधिक उम्र और सेहत का साथ ने देना भी है। पिछले कई सालों से वो किसी भी चुनावी सभा में हिस्सा नहीं ले रही थी। अब कयास लगाया जा रहा है कि उनकी जगह प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ सकती है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि प्रियंका ही सोनिया गांधी कि अनुपस्थिति में रायबरेली में चुनावों को मैनेज करती थी।
सोनिया गांधी का राजनीतिक सफर
सोनिया गांधी ने 1999 में अमेठी और बेल्लारी से तेरहवीं लोकसभा का चुनाव लड़ चुनावी राजनीति में अपनी कदम रखी थी। उसके बाद वो 2004 से रायबरेली से चुनाव लड़ने लगी और अबतक वहीं से लोकसभा का सदस्य रही। 2004 में ही अमेठी से राहुल गांधी पहली बार चुनाव लाडे थें। सोनिया गांधी मार्च 1998 से दिसंबर 2017 तक कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रही। 1999 -2004 तक अटल जी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार में वो लोकसभा में विपक्ष की नेता रही।
सोनिया गांधी के अगुवाई में कांग्रेस ने 2004 का लोकसभा चुनाव लड़ी और जित दर्ज कर सरकार गठन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सोनिया गांधी के पास 2004 में प्रधानमंत्री बनने का मौका था लेकिन पारिवारिक कारण से वो पीएम नहीं बनी। 2004 में बनी यूपीए गठबंधन की अध्यक्ष 2023 तक रही। वो मनमोहन सरकार के समय बनी नेशनल अडवाइजरी समिति की प्रमुख भी रही जो भोजन का अधिकार, मनरेगा, शिक्षा का अधिकार कानून में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।