एक तरफ हैं अमेरिका की उपराष्ट्रपति तो दूसरी तरफ हैं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति.. चुनाव होना है अमेरिका के नए राष्ट्रपति का…
अमेरिकी जनता आज दुनिया को बताने वाली है कि वो पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के उस ‘स्वर्ण युग’ की वापसी के वायदे पर ऐतबार करती है या अमेरिका के महान दिनों की वापसी का दावा करने वाली हैरिस के ऊपर विश्वास जताती है.
डोनाल्ड ट्रम्प कहते हैं कि वो नेशन फर्स्ट की अपनी थ्योरी पर चल कर देश के लिए काम करेंगे तो वहीं दूसरी तरफ कमला हैरिस ने संकल्प लिया है कि अमेरिका में वो सौहार्द और सहयोग की एक नई शुरुआत करेंगी.
आज का ये अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव ध्रुवीकरण और अनिश्चितता के माहौल में हो रहा है. परन्तु चुनौती सबसे बड़ी देश की जनता के सामने है कि वो किसे चुने? जनता को सोचना है कि वो कमला हैरिस को चुनकर देश की पहली महिला राष्ट्रपति को वाइट हाउस भेजे या फिर डोनाल्ड ट्रंप को दुबारा चुन कर उनके पिछली बार के अधूरे कामों को अंजाम तक पहुँचाने में मदद करे.
ट्रंप पर दो बार हुआ हमला
ये चुनाव अपने हिंसक अभियान के लिए जाना जाएगा. इस बार रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर दो बार हत्या के असफल प्रयास हुए वे घायल तो जरूर हुए पर सौभाग्य से उनकी हिम्मत किसी तरह कमतर नहीं हुई.
अचानक हुई एंट्री कमला की
उपराष्ट्रपति हैरिस चुनाव की तारिख से केवल तीन माह पूर्व अप्रत्याशित रूप से पार्टी की उम्मीदवार बनीं.. ऐसा तब होना जरूरी हो गया था जब इस बार राष्ट्रपति जो बाइडेन डोनाल्ड ट्रंप के साथ प्रेसिडेंशियल डिबेट में बुरी तरह पिछड़ गए. उनकी बढ़ती उम्र ने उनके इरादों पर लगाम लगाई.
ट्रंप का वादा – ‘करूँगा ‘स्वर्ण युग’ की वापसी’
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जोरदार वादा किया है – अमेरिका के ‘स्वर्ण युग’ की वापसी का. ट्रम्प चाहते हैं कि अमेरिका का वह दौर वापस आये जब दुनिया में अमेरिका अपनी महान छवि के लिए जाना जाता था.
हैरिस का संकल्प – ‘सौहार्द्र-सहयोग का नवयुग निर्माण’
दूसरी तरफआज की अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने वादा है कि वो एक ऐसे नवयुग का निर्माण करना चाहेंगी जहां सौहार्द और सहयोग का वातावरण हो.
कड़क ट्रम्प का कड़क अभियान
ट्रंप का रिकॉर्ड व्यक्तिगत रूप से भले ही विवादास्पद रहा हो लेकिन उनके शुद्ध राष्ट्रवाद पर कोई ऊँगली नहीं उठा सकता. जैसा कड़क वो बोलते हैं वैसा कड़क वो सोचते भी हैं और वैसा ही कड़क वे करते भी हैं. वहीं हैरिस को बाइडेन की ऊँगली छोड़ कर अपने पैरों पर चलने के लिए मात्र तीन माह का सीमित समय मिला. उन्होंने इस कम समय में भी बाइडेन के छाते से बाहर आकर अपना अभियान खुद चलाने की पूरी कोशिश की है.
ट्रम्प विरोधी ही हैरिस समर्थक
महिला होने का थोड़ा बहुत फायदा हैरिस को मिल सकता है और थोड़ा बहुत फायदा हिंदुस्तानी नाम का भी कमला को मिल सकता है. कुछ महिलावादी वोट्स और कुछ भारतीय वोट्स तो उनके साथ चल सकते हैं किन्तु मूल रूप से उनको साथ मिलेगा ट्रम्प विरोधियों का. डोनाल्ड ट्रम्प का नेशनलिजम जिन ताकतों को पीड़ा देता है वो कमला हैरिस का घोर समर्थन करने से पीछे नहीं हटेंगे.
हैरिस को देने होंगे जवाब
खुद तो कमला हैरिस ने अपने विरोधी अधिक नहीं बनाये किन्तु उनके राजनैतिक गुरु जो बाइडेन के शत्रु बहुत बन गए हैं जो देश में भी हैं और देश से बाहर भी. इस तरह बाइडेन के बाद हैरिस को बाइडन के साथ की कीमत चुकानी होगी. उनको सामना करना पड़ेगा मुद्रास्फीति और बढ़ते अवैध प्रवास के रिकॉर्ड के साथ बाइडेन प्रशासन से जुड़े सवालों का. .
बेहद दिलचस्प होगा मुकाबला इस बार
अमेरिकी चुनाव के सर्वे भारतीय चुनावी सर्वेज की भाँती ज्यादातर बेवकूफ बनाने की नियत से तैयार नहीं किये जाते. देश में चुनावी सर्वे को गंभीरता से लिया जाता है. अमेरिका का लगभग हर सर्वे दोनों उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर की बात कह रहा है. दुसरे शब्दों में कह सकते हैं कि दोनों उम्मीदवार बराबरी पर चल रहे हैं. ऐसे में ज़ाहिर है कि इस बार का मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है.
साढ़े तीन बजे वोटिंग होगी प्रारम्भ
अमेरिका में सुबह 5 बजे याने कि भारतीय समय के अनुसार आज दोपहर 3:30 बजे अमेरिका में पहला मतदान केंद्र खुलेगा और तब तक अमेरिका के 186.5 मिलियन मतदाताओं में से लगभग 81 मिलियन मतदाता (लगभग 43 प्रतिशत) प्रारंभिक मतदान प्रक्रिया के माध्यम से अपनी वोटिंग कर चुके होंगे.