पिछले कई दिनों से अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की काफी चर्चा हो रही है। अब हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने तहलका मचा दिया है। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी ग्रुप के विदेशी फंड में सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की हिस्सेदारी है।
रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप और सेबी के बीच मिलीभगत का भी आरोप लगाया गया है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि अडाणी ग्रुप के विदेशी फंड में सेबी चीफ और उनके पति की भी हिस्सेदारी है।
हालांकि, सेबी चीफ और उनके पति ने इन आरोपों का खारिज करते हुए कहा कि कोई भी चीज छिपाई नहीं गई है और आरोपों में कोई भी सच्चाई नहीं है। अडाणी ग्रुप ने भी इन आरोपों को गलत बताया है साथ ही ये भी कहा कि ये लाभ पाने के लिए साजिश रची गई है।
वहीं, मामले पर अब राजनीतिक बयानबाजी शुरु हो गई है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा, “कांग्रेस और विपक्षी दल लगातार कोशिश करते हैं कि दुनिया के सामने भारत के मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचाए। लोकसभा चुनाव के दौरान भी इन्होंने EVM की निष्पक्षता को लेकर और चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर प्रश्न खड़ा किया है… यह भी किसी षडयंत्र का हिस्सा है।”
वहीं, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में भारत की विकास की रफ्तार बहुत तेजी आगे बढ़ी है… दुनिया के कुछ लोग या देश के कुछ लोग जो भारत के विकास को रोकना चाहते हैं, वे ऐसी रिपोर्ट प्रकाशित कराते हैं…ये बेबुनियाद आरोप है।”
बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, “भारत के लोगों द्वारा ठुकराए जाने के बाद, कांग्रेस पार्टी, उसके सहयोगियों और टूलकिट गिरोह ने मिलकर भारत में आर्थिक अराजकता और अस्थिरता लाने की साजिश रची है? हिंडनबर्ग रिपोर्ट शनिवार को जारी हुई है, रविवार को हल्ला मचता है ताकि सोमवार को पूरे कैपिटल मार्केट को अस्थिर कर दिया जाए। शेयरों के मामले में भी भारत एक सुरक्षित, स्थिर और आशाजनक बाजार है। यह सुनिश्चित करना SEBI की कानूनी जिम्मेदारी है कि बाजार सुचारु रूप से चले। जब SEBI ने जुलाई में अपनी पूरी जांच पूरी करने के बाद, जो कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की गई थी, हिंडनबर्ग के खिलाफ नोटिस जारी किया, तब अपने बचाव के पक्ष में कोई जवाब दिए बिना उन्होंने यह हमला किया है, यह बेबुनियाद हमला है।’
https://twitter.com/ANI/status/1822898933896466520
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, “हिंडनबर्ग द्वारा उठाए गए तथ्यात्मक और बिंदुवार मुद्दों पर SEBI, पीएम और निर्मला सीतारमण जवाब कब देंगे? हम उस तारीख का इंतजार कर रहे हैं। क्या उसने अगोरा पर प्रतिक्रिया दी? क्या उन्होंने इस बात का जवाब दिया कि SEBI चेयरपर्सन बनने के बाद भी उन्होंने अपनी ईमेल आईडी से पैसों के लिए मेल भेजा था? SEBI अध्यक्ष बनने से पहले क्या उन्होंने ऑफ-शोर कंपनियों में अपने निवेश का खुलासा किया था? क्या भारत सरकार को संदेह था कि उनकी कंपनियों का गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी की विदेशी कंपनियों में निवेश था? अगर उनके पास ऐसी जानकारी थी तो उन्हें SEBI चेयरपर्सन क्यों बनाया गया? अगर उनके पास जानकारी नहीं थी तो वे सत्ता में रहकर क्या कर रहे हैं? अगर उन्हें यह नहीं पता तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए”