देश की जानी-मानी लेखिका अरुंधति रॉय और डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने UAPA के तहत केस चलाने की मंजूरी दे दी है। दोनों पर कश्मीर को लेकर विवादित बयान कारण यह मुकदमा किया गया है। सामाजिक कार्यकर्त्ता सुशिल पंडित ने दोनों के खिलाफ FIR की थी।
सामाजिक कार्यकर्त्ता और लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल लॉ के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन 21 अक्टूबर 2010 को दिल्ली के कोपरनिकस रोड स्थित LTG ऑडिटोरियम में ‘आजादी- द ओनली वे’ नाम से एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था, जिसमें शामिल हुए थें। दोनों पर भड़काऊ भाषण देने और कश्मीर को भारत से अलग हिस्सा बताने का आरोप है। इस कार्यक्रम में उस समय जीवित रहे अलगावावादी नेता सैयद अली शाह गिलानी, दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व लेक्चरर एसएआर गिलानी और एक्टिविस्ट वरवर राव भी शामिल हुआ थें।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने अरुंधति रॉय और डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम) की धारा 45(1) के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। इससे पहले, अक्टूबर 2023 में, उपराज्यपाल ने CRPC की धारा 196 के तहत दोनों पर आईपीसी की धारा 153 ए/ 153 बी और 505 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी।
आईपीसी की धारा 153 ए (धर्म, जाति,भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153 बी (राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के आरोप) और 505 (किसी भी समूह या व्यक्तियों के समुदाय को किसी अन्य समूह या समुदाय के खिलाफ कोई अपराध करने के लिए उकसाने के इरादे से) के तहत लगाया जाता है।
कौन है अरुंधति रॉय
अरुंधति रॉय देश की जानी-मानी लेखिका और सामाजिक कार्यकर्त्ता है। रॉय को 1997 में “द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग” के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। यह उनका पहला उपन्यास है। रॉय यह पुरस्कार पाने वाली देश की प्रथम महिला है। टाइम मैग्जीन ने 2014 में अरुंधति रॉय को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की अपनी सूची में स्थान दिया था। वह मेधा पाटकर के साथ गुजरात में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर डैम प्रोजेक्ट के खिलाफ अभियान में शामिल रही हैं।