कांग्रेस ने शुक्रवार की सुबह रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से केएल शर्मा को उम्मीदवार बनाया। यह दोनों सीट गांधी परिवार का गढ़ रहा है। रायबरेली से फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी चुनाव लड़ चुकी हैं। वहीं अमेठी से उम्मीदवार बनाए जाने वाले किशोरी लाल शर्मा सोनिया गांधी की सांसद प्रतिनिधि रहे हैं। 1999 में जब सोनिया गांधी पहली बार अमेठी से चुनावी राजनीति में कदम रखी थी तब से केएल शर्मा गांधी परिवार की तरफ से अमेठी और रायबरेली का काम देख रहे हैं।
केएल शर्मा की उम्मीदवारी पर प्रियंका गांधी ने क्या कहा ?
प्रियंका गांधी ने केएल शर्मा की उम्मीदवारी पर शुभकामनायें देते हुए कहा कि किशोरी लाल शर्मा से हमारे परिवार का वर्षों का नाता है। अमेठी, रायबरेली के लोगों की सेवा में वे हमेशा मन-प्राण से लगे रहे। उनका जनसेवा का जज्बा अपने आप में एक मिसाल है। आज खुशी की बात है कि श्री किशोरी लाल जी को कांग्रेस पार्टी ने अमेठी से उम्मीदवार बनाया है। किशोरी लाल जी की निष्ठा और कर्तव्य के प्रति उनका समर्पण अवश्य ही उन्हें इस चुनाव ने सफलता दिलाएगा।
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राहुल गांधी ने अमेठी से चुनाव क्यों नहीं लड़ा ?
राहुल गांधी ने 2004 के लोकसभा चुनाव से अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत की थी। राहुल 2004, 2009 और 2014 से यहां से सांसद रहें। 2019 में उन्होंने अमेठी और वायनाड से लोकसभा का चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें अमेठी से स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था। राहुल 2019 में केरल के वायनाड से सांसद बनें। यहां उन्हें बड़ी जीत मिली थी। 2024 लोकसभा चुनाव में एकबार फिर राहुल वायनाड से चुनाव लड़ रहें हैं। इसके साथ ही वह अपनी माँ सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से भी शुक्रवार को नामांकन करेंगे।
दो जगहों से चुनाव लड़ने पर एक सीट छोड़ना पड़ेगा
राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली दो जगहों से 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। अगर राहुल दोनों जगहों से चुनाव जीत जाते हैं तो उन्हें कोई एक सीट छोड़ना पड़ेगा। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राहुल वायनाड नहीं छोड़ना चाहते हैं। इसके पीछे का कारण दक्षिण भारत में गलत राजनीतिक सन्देश जाना है। राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत में खोने को कुछ नहीं है। लेकिन दक्षिण भारत में कांग्रेस अभी भी मजबूत है। हर कठिन समय में कांग्रेस और गांधी परिवार को दक्षिण भारत का साथ मिला है। उत्तर भारत और दक्षिण भारत की राजनीति अलग है। राहुल गांधी को दक्षिण भारत की राजनीति जमती भी है और सफलता भी मिली है।
राहुल वायनाड से सांसद रहना पसंद करेंगे
राहुल अगर अमेठी से चुनाव लड़ते और जीत भी जाते तो वह अमेठी की जगह वायनाड से सांसद रहना पसंद करेंगे। इस स्थिति में अमेठी में फिर से उपचुनाव होता और फिर स्मृति ईरानी चुनाव लड़ती और यह प्रचार करती की राहुल ने अमेठी सीट छोड़ दी। इस स्थिति में कांग्रेस से जो भी उम्मीदवार लड़ता उसके लिए मुश्किल का सामना करना पड़ता। इसके साथ ही राहुल स्मृति ईरानी के साथ लड़ कर एकबार फिर मुद्दा नहीं बनना चाहते। और उस बाइनरी में नहीं फंसना चाहते।
प्रियंका करेंगी उत्तर भारत की राजनीति
रायबरेली और वायनाड दोनों जगहों से जीतने के बाद राहुल रायबरेली की सीट छोड़ देंगे। उसके बाद उपचुनाव में प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ कर संसद पहुंच सकती है। प्रियंका गांधी की हिंदी भी राहुल गांधी से बेहतर है। प्रियंका गांधी जिस तरह से पीएम मोदी को राजनीतिक जवाब देती है वह लोगों को काफी प्रभावित करती है। हाल ही में पीएम मोदी का मंगलसूत्र वाला बयान पर जिस तरह से प्रियंका ने जवाब दिया उसके बाद पीएम ने दोबारा मंगलसूत्र का जिक्र नहीं किया।
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प्रियंका गांधी हिंदी पट्टी यानि कि उत्तर भारत की राजनीति के लिए फिट बैठती है। पूरी संभावना है कि राहुल गांधी दक्षिण भारत की राजनीति करेंगे और प्रियंका उत्तर भारत की राजनीति करेंगी। प्रियंका गांधी को हिमाचल प्रदेश की विधानसभा चुनाव की जीत में काफी श्रेय मिला।