गांधी मंडेला फाउंडेशन और कथक धरोहर, 13 जनवरी को संसद भवन ऑडिटोरियम, नई दिल्ली में 96वें लोकसभा सचिवालय दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम “पधारो म्हारे देश” (आओ मेरे देश में) का आयोजन किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने समाजसेवी, लेखक, कवि और गांधी मंडेला फाउंडेशन की कार्यकारिणी समिति की सदस्य डॉ. कैलाश चंद्र परवाल को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
डॉ. कैलाश चंद्र परवाल, जो “सरल” के काव्य नाम से प्रसिद्ध हैं, एक प्रख्यात समाजसेवी, लेखक, और कवि हैं। उनका जीवन केवल व्यावसायिक सफलता की मिसाल नहीं, बल्कि समाज के प्रति उनके योगदान और साहित्यिक कार्यों से प्रेरित भी है। उनका जन्म 1 मई 1957 को जयपुर जिले के रेनवाल शहर में हुआ था। कैलाश पार्वल का परिवार व्यवसाय में सक्रिय था, और उनका योगदान समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय रहा है।
शिक्षा और पेशेवर यात्रा
कैलाश चंद्र परवाल ने अपनी शिक्षा जयपुर में प्राप्त की और 1983 में चार्टर्ड अकाउंटेंसी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने जयपुर में अपनी पेशेवर यात्रा शुरू की और “M/s. पार्वल एंड एसोसिएट्स” नामक प्रतिष्ठान के तहत 40 से अधिक वर्षों तक इस क्षेत्र में कार्य किया। उनकी व्यवसायिक यात्रा और उनके द्वारा किए गए कार्य समाज और व्यवसाय दोनों में उनके योगदान को महत्वपूर्ण बनाते हैं।
काव्य और साहित्य में योगदान
कैलाश पार्वल का काव्य संसार “सरल” नाम से मशहूर है। उनके काव्य रचनाएँ, विशेष रूप से उनकी रामायण और श्री कृष्णम पर लिखी पुस्तकें, न केवल हिंदी साहित्य में एक नया आयाम जोड़ती हैं, बल्कि इन पुस्तकों ने एक नई धारा को जन्म दिया है। “सरल रामायण” और “श्री कृष्णम” इन दोनों काव्य ग्रंथों को लिखने में कैलाश पार्वल ने भारतीय संस्कृत ग्रंथों जैसे रामचरित मानस, भगवद गीता और महाभारत से प्रेरणा ली। इन किताबों में कुल 5000 से अधिक दोहों के माध्यम से भगवान राम और श्री कृष्ण के जीवन की घटनाओं को सरल और मनमोहक तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
“सरल रामायण” की वीडियो सीरीज “संकल्प” चैनल पर प्रसारित होती है, जो 100 से अधिक देशों में देखी जाती है। इसके साथ ही “श्री कृष्णम” ने भी राम कृष्ण भक्तों में बड़ी सफलता हासिल की है।
अन्य साहित्यिक कृतियाँ
कैलाश चंद्र परवाल के साहित्यिक कार्यों में “गीता मंका 108”, “श्री सत्यनारायण व्रत कथा पद्यावली” और “जिन वंदना” जैसी कृतियाँ भी शामिल हैं। इन पुस्तकों के माध्यम से उन्होंने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित किया है, बल्कि सरल भाषा में इन्हें प्रस्तुत कर आम जनमानस तक पहुँचाया है।
समाज सेवा में योगदान
कैलाश चंद्र परवाल केवल एक लेखक और कवि नहीं, बल्कि एक संवेदनशील समाजसेवी भी हैं। उन्होंने “नचिकेता गुरुकुल” नामक संगठन की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य वंचित बच्चों की शिक्षा और उनके विकास को प्रोत्साहित करना है। इसके साथ ही, वे समाज के अन्य जरूरतमंद वर्गों के लिए भी कई परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। उनका मानना है कि समाज की तरक्की केवल तभी संभव है जब समाज के हर वर्ग का उत्थान हो।
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कैलाश चंद्र परवाल का जीवन समर्पण, कार्यक्षमता और मानवता के प्रति उनके योगदान का प्रतीक है। उनके साहित्यिक कार्यों ने न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखा है, बल्कि उनके समाजसेवी कार्यों ने हजारों लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाया है। उनका योगदान निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगा।