इंटरैक्टिव फोरम ऑन इंडियन इकोनॉमी (IFIE) द्वारा मुंबई में “मोदी का दृष्टिकोण: भारत 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की ओर” विषय पर एक कॉन्क्लेव आयोजित किया गया। जिसमें “ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री” किस तरह इसमें योगदान दे सकती है, इस पर विस्तृत चर्चा की गई। इसके साथ ही ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए स्व-नियामक निकाय (Self Regulatory Body) का निर्माण एवं उसकी रूपरेखा क्या हो, इस पर सभी वक्ताओं ने अपने सुझाव दिए।
जिसमें डॉ देबी प्रसाद दाश (यमन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विशेषज्ञों के पैनल के समन्वयक एवं सदस्य (वित्त), भारत सरकार में भारतीय सीमा शुल्क (डीआरआई) के प्रधान महानिदेशक, जीएसटी इंटेलिजेंस के महानिदेशक, पूर्व अधिकारी सीबीआई और आरबीआई) ने अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा कि उद्योग के अगले विकास चरण तक पहुंचने के लिए संघीय स्तर पर एक यूनीफॉर्म रेगुलेशन आवश्यक है। आगे उन्होंने कहा- हाल ही में 11 जुलाई, 2023 को 50वीं जीएसटी परिषद की बैठक संपन्न हुई। जिसमें मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने सिफारिश की है कि ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत की एक समान दर से कर लगाया जाना चाहिए। जिसका अर्थ है कि कर की गणना दांव पर लगाए गए पैसे की राशि पर की जाएगी, भले ही दांव जीतता हो या हारता हो।
मनी लॉन्ड्रिंग और गेमिंग की बढ़ती लत की घटनाओं के बाद रेगुलेशन की आवश्यकता हुई। भारत दुनिया के चार सबसे बड़े गेमिंग बाजारों में से एक है। गेमिंग उद्योग ने इस कदम का स्वागत किया क्योंकि रेगुलेशन निश्चितता इसे वैधता प्रदान करेगी। यह कुशल खेल खिलाड़ियों के हितों की रक्षा करते हुए निवेश की गुंजाइश को भी बढ़ावा देगा।