मोदी कैबिनेट ने बड़ा निर्णय लेते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कमेटी की एक देश-एक चुनाव की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। सरकार शीतकालीन सत्र में संसद में बिल ला सकती है। रामनाथ कोविंद की इस समिति ने लोकसभा चुनावों के एलान से पहले मार्च में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी थी। आपको बता दें कि ये कैबिनेट के 100 दिन के एजेंडा में भी शामिल था.
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की एक देश-एक चुनाव की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए। इसके बाद 100 दिन के अंदर स्थानीय निकाय चुनाव भी हो जाने चाहिए। इससे पूरे देश में एक निश्चित समयावधि में सभी स्तर के चुनाव संपन्न कर कराए जा सकेंगे। वर्तमान में, राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग-अलग आयोजित किए जाते हैं।
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देश में 1967 तक लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सभाओं में हमेशा एक देश-एक चुनाव का जिक्र करते रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा था कि एक देश-एक चुनाव देश की जरुरत है। चार-पांच महीनों में सारे देश का चुनाव हो जाय और फिर साढ़े चार साल बिना किसी राजनीति के सरकार अपना काम-काज करें। साथ ही इससे बार-बार होने वाले चुनावों में खर्चा में भी कमी आएगी।
क्या है चुनौतियां?
‘एक देश-एक चुनाव’ को लागू करने में कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
सबसे पहले इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा. लोकसभा का कार्यकाल या तो बढ़ाना होगा या फिर तय समय से पहले इसे खत्म करना होगा.
साथ ही कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाना भी पड़ सकता है. जबकि कुछ विधानसभा का कार्यकाल समय से पहले खत्म करना होगा.
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इसे लागू करने से पहले सभी दलों में आम राय बनाना जरूरी है. हालांकि, एक देश एक चुनाव को लेकर चुनाव आयोग पहले ही कह चुका है कि वह इसके लिए तैयार है.
संसद के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन चाहिए होगा
एक देश, एक चुनाव करने के लिए सबसे पहले सरकार सदन में बिल पास करना होगा। यह संविधान संशोधन बिल होगा इसलिए मोदी सर्कार को इसे पास करानेके लिए संसद के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन चाहिए होगा। इसके लिए सरकार को लोकसभा में पास कराने के लिए कम से कम 362 और राज्यसभा के लिए 163 सदस्यों का समर्थन चाहिए होगा। इसके साथ ही संसद से पास होने के बाद इस बिल को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा से भी इस बिल को पास करवाना जरूरी होगा। इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल कानून बन जाएगा।