भारत में करीब 6,50,000 से अधिक गांव हैं। हालांकि इनकी संख्या घटती-बढ़ती रहती है। गांव का नाम सुनते ही आपके या हमारे जहन में एक मुखिया की छवि उभर कर आती है। धोती-कुर्ता और दाढ़ी मूछों के साथ खाट पर बैठे ग्राम प्रधान..।
लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ग्राम प्रधान के बारे में बताने जा रहे हैं। जो ना केवल युवा हैं बल्कि उन्होंने गांव के विकास और गांव वालों के उत्थान के लिए दिल्ली में पत्रकारिता की नौकरी तक छोड़ दी।
उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में मलकपुरा गांव का एक लड़का, जिनका नाम है अमित.. जिन्होंने अपनी काबिलियत के दम पर प्रमुख संस्थान ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन’ से पत्रकारिता की डिग्री हासिल की। अपनी लगन से देश के एक फेमस मीडिया हाउस में नौकरी की, लेकिन कुछ साल नौकरी करने के बाद भी उनका मन गांव में ही अटका रहा।
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दिल्ली में पढ़ाई और नौकरी के दौरान उनके मन में गांव की तस्वीर और जहन में गांव के विकास के लिए काम करने की ललक जगती रही। अंतत:, कुछ साल दिल्ली में रहने के बाद वो नौकरी को अलविदा कह कर अपने गांव मलकपुरा लौट आए। गांव तो लौट आए..लेकिन गांव सुधारने के लिए राजनीति में एंट्री करना बहुत जरूरी था। उसी बीच गांव में ग्राम प्रधान पद के लिए तैयारियां चल रही थीं। बस फिर क्या था..कहते हैं ना रास्ते से अगर ना घबराओ तो मंजिल मिल ही जाती है।
अमित, को भी अपनी मंजिल मिल गई थी..और शायद रास्ता भी। एक पुराने दोस्त को साथ लेकर अमित ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दीं। अमित और उनके दोस्त ने मात्र 8 दिनों में कड़ी मेहनत की और 51 वोटों से प्रधान पद का चुनाव जात लिया। अमित, जीत के तुरंत बाद गांव के विकास में लग गए और आज अपने गांव मलकपुरा को आज राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। बिना धनबल के अमित ने अप्रैल 2021 में प्रधानी के चुनाव में जीत हासिल की और अपनी लड़ाई शुरु की।
अमित बताते हैं कि शुरुआत में उन्होंने भ्रष्टाचार को लेकर कई आरटीआई डाले लेकिन फिर उन्हें पता चला कि ग्राम पंचायत की असल शक्ति तो सचिव के हाथों में होती है। ग्राम पंचायत के फंड से शुरुआती 9-10 महीनों में काम किया जिसकी चर्चा दिल्ली तक होने लगी। उसी समय केंद्र सरकार की ‘हर घर जल’ योजना आई जिसमें पानी की टंकी के लिए जगह का चुनाव होना था। जिस पर कई अधिकारियों के साथ बहस भी हुई।
इस बीच उन्होंने पंचायती राज मंत्रालय के कई आला अधिकारियों को भी अपनी समस्या बताई और 26 महीने के बीच उन्होंने अपने खर्च पर दिल्ली के 57 चक्कर लगाए, लेकिन अमित ने हार नहीं मानी।
कुछ समय बाद फंड जारी हुआ और गांव में रुके हुए काम फिर से होने लगे। अमित ने बताया कि उन्होंने गांव के विकास कार्यों को पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम और महात्मा गांधी के विकास मॉडल पर आगे बढ़ाया। अमित ने15 कामों की एक सूची बनाई, जो गांव के विकास के आधार थे। मात्र 40 महीनों के भीतर अमित ने 15 में से 13 कार्यों को पूरा कर लिया है और 2 पर काम चल रहा है।
सरकारी स्कूलों के विकास पर ध्यान
ग्राम प्रधान अमित बताते हैं कि उन्होंने प्राथमिक स्कूल में मिड-डे मील के तहत भोजन की गुणवत्ता को सुधारा। प्राथमिक स्कूल के बच्चों को निशुल्क दो से तीन दिनों के लिए, दूसरे जिलों में एजुकेशनल टूर पर भेजने का काम शुरू हुआ। जिससे बच्चों के विकास को गति मिली।
गांव में बच्चों को फ्री ट्यूशन दिया जाता है। बच्चों के लिए साइकिल और स्कूल में इन्वर्टर की सुविधाएं भी दी जाती है। इसके अलावा विकास के कई और कार्य भी हैं जिन पर काम जारी है और गांव का विकास भी लगातार हो रहा है।