Beware of Tea Bags: वैज्ञानिकों ने चाय की थैलियों में पाए जाने वाले माइक्रोप्लास्टिक्स के कारण होने वाली स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के बारे में चेतावनी दी है, जो छिपे हुए खतरों को उजागर करते हैं..
Beware of Tea Bags: सहज रूप में हमारे जीवन में हर पेय पदार्थ मायने रखता है. एक नए शोध के अनुसार, चाय की थैलियाँ चाय पीने वालों को हर बार चाय की चुस्की लेने पर अरबों नैनोप्लास्टिक्स के संपर्क में ला सकती हैं.
सावधान होना गलत नहीं है. चाय की थैलियों के बारे में आपको और भी बहुत कुछ जानना चाहिए, भले ही आप चाय के स्वास्थ्य लाभों के बारे में पहले से ही जानते हों. दुनिया भर में लाखों लोग चाय पसंद करते हैं, लेकिन चाय की थैलियों में छिपे एक खतरे के कारण यह अब चाय ही आलोचना का विषय बन गई है.
छिपा है खतरा थैली में
ये आलोचना गलत भी नहीं है क्योंकि आपके कप के ऊपर चाय के रूप में आने वाली टी बैग्स खतरनाक हो सकती हैं जो आप जैसे चाय पीने वालों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से खतरे में डाल सकती है और दुनिया की प्लास्टिक प्रदूषण समस्या को बढ़ा सकती है.
वैज्ञानिकों ने की है खोज
हाल ही में किए गए एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार, व्यावसायिक रूप से उपलब्ध चाय की थैलियों से लाखों और अरबों प्लास्टिक कण निकलते हैं और चाय में घुल जाते हैं. इनको जब हम पी लेते हैं उसके बाद हमारे शरीर की कोशिकायें इनको अपने भीतर अवशोषित कर लेती हैं.
नैनोफिलामेंट्स होते हैं उत्सर्जित
बार्सिलोना के स्वायत्त विश्वविद्यालय (यूएबी) द्वारा किए गए एक अध्ययन में ये डरावना सच सामने आया है जो केमोस्फीयर पत्रिका में प्रकाशित हुए लेख में विस्तृत रूप से बताया गया है. जब इन चाय की थैलियों के उपयोग के समय गर्म पानी में भारी मात्रा में नैनो आकार के कण और नैनोफिलामेंटस संरचनाएं उत्सर्जित होती हैं.
तीनों तरह के टी बैग्स खतरनाक
तीन अलग-अलग प्लास्टिक-सेल्यूलोज, नायलॉन-6 और पॉलीप्रोपाइलीन से बने चाय की थैलियों का परीक्षण करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि जब चाय बनाई गई, तो बड़ी मात्रा में प्लास्टिक के कण गर्म पानी में निकल कर घुल गए. अध्ययन में ‘व्यावसायिक रूप से उपलब्ध’ चाय ब्रांडों का उपयोग किया गया था, हालांकि कोई नाम नहीं बताया गया.
निकलते हैं लाखों घातक कण
शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रत्येक मिलीलीटर चाय के लिए, पॉलीप्रोपाइलीन से बने टी बैग से लगभग 1.2 बिलियन प्लास्टिक कण निकलते हैं। इसी तरह सेल्यूलोज से बने टी बैग में प्रति बूंद 135 मिलियन कण निकलते हैं, जबकि नायलॉन-6 वाले टी बैग में प्रति बूंद 8.18 मिलियन कण निकलते हैं.
यह देखने के लिए कि पीने के बाद कण शरीर के साथ किस तरह से संपर्क करेंगे, वैज्ञानिकों ने उन्हें रंगा और उन्हें अलग-अलग आंतों की कोशिकाओं के संपर्क में लाया. पाचन कोशिका से नाभिक तक एक दिन के बाद, आंतों के बलगम बनाने वाली पाचन कोशिकाओं ने सूक्ष्म और नैनो-प्लास्टिक के महत्वपूर्ण स्तरों को अवशोषित कर लिया था.
कर सकते हैं डीएनए भी डैमेज
इनमें से कुछ कोशिकाओं में, प्लास्टिक नाभिक में भी पहुँच गया था, जिसमें आनुवंशिक सामग्री याने कि आपका डीएनए वाले मूल सूत्र होते हैं. इसके अनुसार, गैस्ट्रिक बलगम सूक्ष्म और नैनोप्लास्टिक को रक्तप्रवाह और शरीर के अन्य अंगों द्वारा ले जाने से पहले शरीर में प्रवेश करने की अनुमति देने में महत्वपूर्ण हो सकता है.