भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अल्पसंख्यकों को आकर्षित करने के लिए नया कदम उठाया है। पार्टी ने एक नया अभियान, “सौगात-ए-मोदी” शुरू किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य मुस्लिम, सिख और ईसाई समुदाय के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति सकारात्मक छवि प्रस्तुत करना है। इस अभियान के तहत, पार्टी के कार्यकर्ता पूरे देश में अल्पसंख्यक समाज के बीच जाएंगे और उन्हें विशेष किट देंगे, जिन्हें “सौगात-ए-मोदी” के नाम से जाना जाएगा।
“सौगात-ए-मोदी” अभियान का उद्देश्य
बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के अनुसार, इस अभियान का मुख्य उद्देश्य पर्वों के दौरान समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना है। किट में खाद्य सामग्री, जैसे सेवइयां, बेसन, दूध, चीनी, ड्राई फ्रूट्स आदि शामिल होंगे। इसके अलावा, महिलाओं के लिए सूट का कपड़ा और पुरुषों के लिए कुर्ता पजामा भी किट में होगा।
यह किट बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में भी एक महत्वपूर्ण रणनीति मानी जा रही है, क्योंकि बीजेपी का लक्ष्य इस राज्य में मुस्लिम वोटरों तक पहुंचने का है। इस अभियान के माध्यम से पार्टी अपने सामाजिक समरसता के संदेश को आगे बढ़ाना चाहती है। किट वितरण के दौरान कार्यकर्ता उन परिवारों तक पहुंचेंगे जो इन त्यौहारों के दौरान जरूरतमंद होते हैं।

विपक्ष का विरोध
बीजेपी के इस अभियान पर विपक्षी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद सत्रुघ्न सिन्हा ने इसे “अहंकार का प्रतीक” बताया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी किसी धार्मिक नेता नहीं हैं, और सौगात देने का अधिकार उन्हें नहीं है। यह देश का पैसा है, जो जनता की मेहनत से आता है।”
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी आलोचना की और कहा कि अगर बीजेपी वास्तव में त्यौहार मनाने की इच्छुक है तो उसे सभी धर्मों के त्यौहार समान रूप से मनाने चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी चुनावी फायदे के लिए यह कदम उठा रही है।
आरजेडी सांसद मनोज झा ने इसे लोकतंत्र के बजाय “राजतंत्र” की मिसाल करार दिया और कहा, “प्रधानमंत्री को हर जगह अपनी तस्वीर छपवाने की आदत है, अब तो यह भी साफ नजर आ रहा है कि वह सल्तनत चला रहे हैं, लोकतंत्र नहीं।”
अल्पसंख्यक समुदाय के लिए बीजेपी की नई पहल
बीजेपी के इस अभियान का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय को यह महसूस कराना है कि पार्टी उनके साथ खड़ी है। रमजान, ईद, बैसाखी, गुड फ्राइडे, और अन्य प्रमुख त्यौहारों के दौरान इस अभियान को चलाया जाएगा। इसके माध्यम से पार्टी की कोशिश है कि अल्पसंख्यक समाज को एक साथ लाकर देश में साम्प्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया जाए।
हालांकि विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद, बीजेपी का यह कदम अपनी रणनीतिक महत्वाकांक्षाओं को सामने रखता है, और यह देखना होगा कि आगामी चुनावों में इस तरह के अभियानों का कितना असर होता है।
यह भी पढ़ें: इस राज्य में हो रही सोने के भंडारों की खोज, खुदाई में मिल रहा सोना
“सौगात-ए-मोदी” अभियान में बीजेपी का उद्देश्य स्पष्ट रूप से अल्पसंख्यक समाज के बीच अपनी पैठ बनाना और उन्हें पार्टी से जोड़ना है। लेकिन विपक्ष का आरोप है कि यह सब एक चुनावी रणनीति है, जिसे भारतीय जनता पार्टी केवल सत्ता में बने रहने के लिए कर रही है। इन आरोपों के बावजूद, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस अभियान के परिणाम आगामी चुनावों में बीजेपी को फायदा पहुंचाते हैं या नहीं।