कनाडा पीएम जस्टिन ट्रूडो को भारत से पंगा लेना महंगा पड़ा रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, ट्रूडो अपने पद से इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं, हालांकि इस पर अंतिम निर्णय अभी तक नहीं लिया गया है। यदि वे इस्तीफा देते हैं, तो उनका यह कदम उनके लगभग दस साल लंबे प्रधानमंत्री के कार्यकाल का अंत कर सकता है, जो उपलब्धियों और विवादों दोनों से भरा रहा है। एक समय था जब उन्हें कभी प्रगतिशील नेता के रूप में पहचाना जाता था और जिन्होंने लिबरल पार्टी की किस्मत को एक नए दौर में प्रवेश दिलाया था, अब राजनीतिक संकट के कगार पर खड़े हैं।
ट्रूडो के प्रधानमंत्री बनने का सफर
कनाडा पीएम जस्टिन ट्रूडो ने 2013 में लिबरल पार्टी की कमान संभाली थी, जब पार्टी बेहद संकट में थी और पहली बार संसद में तीसरे स्थान पर चली गई थी। उस समय पार्टी को एक नेता की तलाश थी जो उसे फिर से पुनर्जीवित कर सके। ट्रूडो ने वही किया, और 2015 में लिबरल पार्टी को सत्ता में वापस लाए। लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान उनकी विश्वसनीयता में कमी आई और उनका सरकार कई विवादों और घोटालों में फंस गई।
भारत के साथ विवाद
जून 2023 में हारदीप सिंह निज्जर, जो सिख अलगाववादी आतंकवादी थे, वैंकूवर में मारे गए। इसके बाद ट्रूडो ने भारत पर आरोप लगाया कि भारतीय एजेंटों ने इस हत्या में शामिल थे, जिससे एक गंभीर कूटनीतिक विवाद उत्पन्न हुआ। इस आरोप के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
हालांकि, कई विश्लेषकों का मानना है कि ट्रूडो के भारत के खिलाफ लगाए गए आरोप, चीन द्वारा कनाडा की राजनीति में हस्तक्षेप की ओर से ध्यान भटकाने की एक कोशिश हो सकती है, जिसमें सीधे तौर पर ट्रूडो और उनकी लिबरल पार्टी का फायदा हुआ है।
ट्रूडो के नेतृत्व पर सवाल
कनाडा पीएम जस्टिन ट्रूडो का नेतृत्व अब कई मोर्चों से चुनौतीपूर्ण हो गया है। उनके खिलाफ आंतरिक विद्रोह और भ्रष्टाचार के आरोप भी उनकी स्थिति को कमजोर कर रहे हैं। उनकी सरकार के कार्यकाल के अंत में विपक्षी दलों और आम जनता की आलोचनाएं तेज हो गई हैं, और अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या ट्रूडो इस राजनीतिक संकट से उबर पाएंगे या फिर वे अपनी भूमिका से बाहर हो जाएंगे।
आगे की राह
हालांकि कनाडा पीएम जस्टिन ट्रूडो ने अभी तक अपनी सेवानिवृत्ति की पुष्टि नहीं की है, लेकिन राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि उनका इस्तीफा कनाडा की राजनीति में एक नई दिशा तय कर सकता है। अगर ट्रूडो अपने पद से हटते हैं, तो यह लिबरल पार्टी के लिए एक बड़ा संकट होगा, जो लंबे समय से उनके नेतृत्व में थी।
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अभी यह देखना बाकी है कि कनाडा पीएम जस्टिन ट्रूडो अपने पद से इस्तीफा देते हैं या नहीं, लेकिन उनके खिलाफ उठ रही आंतरिक और बाहरी चुनौतियां उनके राजनीतिक भविष्य को अंधेरे में डाल रही हैं।