त्योहारों और पर्वों के देश भारत की सनातन संस्कृति न केवल समस्त विश्व के लिए आकर्षण का विषय है अपितु यह आनंदपूर्ण हिन्दू जीवन शैली उनके लिए आश्चर्य का विषय भी है. भारत के महान पर्वों में छठ पर्व अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है जो प्रतिवर्ष सारे देश में ही नहीं दुनिया में भी उमंग और उत्साह से मनाया जाता है.
छठ पूजा 2024 महत्वपूर्ण बातें
Chhath Puja 2024: नहाय-खास के साथ होती है प्रारम्भि छठ महापर्व की. छठ महापर्व सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है जो कि मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और साथ ही भारत से बाहर नेपाल में भी मनाया जाता है.
सूर्य देव और षष्ठी मैया की उपासना
देखा जाए तो छठ महापर्व अब विदेशों में भी मनाया जाने लगा है. कारण है कि हम भारतीय सारी दुनिया में अस्तित्वमान हैं. छठ महापर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी लोकप्रिय है. इसका कारण ये है कि इस पर्व के दौरान हम सूर्य देव और षष्ठी मैया की उपासना करते हैं.
नहाय-खाय से होकर प्रातः कालीन अर्घ्य तक
इस चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होकर अन्य दिनों में प्रातः कालीन अर्घ्य के समय तक चलती दिन तक चलता है. आइये हम जान लेते हैं नहाय-खाय से लेकर अर्घ्य की प्रमुख तिथियों के विषय में.
छठ पूजा 2024 की विशेष तिथियां
छठ महापर्व चार दिनों तक गतिमान रहता है. हिंदू पंचांग इस पर कहता है कि ये महापर्व कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से लेकर सप्तमी तिथि तक अस्तित्वमान रहता है. इस वर्ष छठ महापर्व आरम्भ हो रहा है 5 नवंबर से और इसका समापन 8 नवंबर को होना है.
नहाय खाय – मंगलवार – 5 नवंबर 2024
खरना – बुधवार – 6 नवंबर 2024
संघ्या अर्घ्य – गुरुवार – 7 नवंबर 2024
सुबह अर्घ्य – शुक्रवार – 8 नवंबर 2024
प्रथम दिवस -नहाय खाय (Chhath Puja 2024 Nahaay Khaay)
चार दिवसीय छठ महापर्व के पहले दिन को हम नहाय-खाय के नाम से जानते हैं. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं अपने आसपास के किसी नदी-तालाब में स्नान करती हैं और इस दिन उनका सात्विक भोजन होता है कद्दू-भात का.
द्वितीय दिवस – खरना पूजा (Chhath Puja 2024 Kharna Puja)
छठ पूजा का दूसरा दिन कहलाता है खरना या खरना पूजा. व्रत रखने वाली महिलायें इस दिन खरना पूजा का विशेष प्रसाद तैयार करती हैं. ये दिन एक कठिन तपस्या वाला समय होता है क्योंकि इस दिन से प्रारम्भ होता है छत्तीस घंटों का निर्जला व्रत. व्रती महिलाएं शाम के समय गुड़ और चावल की खीर बनाती हैं. विशेष बात ये होती है कि ये खीर मिट्टी के चूल्हे पर ही बनाई जाती है. और इसलिए ही तो इस खीर का स्वाद खीर की दुनिया में सबसे अच्छा होता है.
संध्या अर्घ्य (Chhath Puja 2024 Evening Arghya)
छठ महापर्व के तृतीय दिवस को होता है संध्या अर्घ्य का कार्यक्रम. यह पूजा का कार्यक्रम तीसरे दिन शाम को होती है जिसके दौरान अस्त होते हुए भगवान् भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाता है. आज शाम को ही बांस की टोकरियों में ठेकुआ, फल नारियल आदि पूजा की सामग्री को रखकर दूध-मिश्रित जल से सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित किया जाता है.
प्रातः अर्घ्य (Chhath Puja 2024 Morning Arghya)
यह होता है छठ महापर्व का चौथा और अंतिम दिन. इस दिन उदित होते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. इस अर्घ्य के उपरान्त ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन होता है.