केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान पंजाब, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग का अनुदान जारी की है। यह अनुदान जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने और स्थानीय विकास को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस अनुदान का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) और ग्रामीण स्थानीय निकायों (आरएलबी) को अपने क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वित्तीय मदद प्रदान करना है।
पंजाब को जारी हुआ 225.1707 करोड़ रुपये का अनुदान
पंजाब में, ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए पहली किस्त के रूप में 225.1707 करोड़ रुपये की अप्रतिबंधित अनुदान जारी की गई है। इस अनुदान का उपयोग राज्य की 13144 ग्राम पंचायतों, 146 ब्लॉक पंचायतों और 22 जिला पंचायतों के लिए किया जाएगा। यह राशि उन संस्थाओं को दी जाएगी ताकि वे अपनी आवश्यकता अनुसार विकास कार्यों को पूरा कर सकें।
छत्तीसगढ़ को 237.1393 करोड़ रुपये का अनुदान
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान की दूसरी किस्त जारी की गई है। इस अनुदान की राशि 237.1393 करोड़ रुपये है, जिसमें पहली किस्त की रोकी गई राशि 6.9714 करोड़ रुपये भी शामिल है। यह अनुदान राज्य की 11548 ग्राम पंचायतों, सभी 146 ब्लॉक पंचायतों और 27 जिला पंचायतों के लिए उपलब्ध होगा।
उत्तराखंड को जारी हुई 93.9643 करोड़ रुपये की पहली किस्त
उत्तराखंड में, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए पंद्रहवें वित्त आयोग के तहत ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए 93.9643 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की गई है। यह राशि राज्य के ग्राम पंचायतों और अन्य स्थानीय निकायों को उनके क्षेत्रीय विकास के लिए मिलेगी।
पंचायती राज और जल शक्ति मंत्रालय के माध्यम से जारी किया गया अनुदान
भारत सरकार द्वारा जारी किए गए इस अनुदान की सिफारिश पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से की जाती है, और वित्त मंत्रालय इसे अंतिम रूप से जारी करता है। इस अनुदान का उपयोग राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता, जल आपूर्ति, वर्षा जल संचयन, जल पुनर्चक्रण, और खुले में शौच से मुक्ति की स्थिति बनाए रखने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए किया जा सकता है।
अनुदान का उपयोग कैसे किया जाएगा?
पंद्रहवें वित्त आयोग के तहत जारी किए गए इन अप्रतिबंधित अनुदानों का उपयोग संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में निहित उनतीस (29) विषयों के तहत स्थान-विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाएगा। इनमें घरेलू कचरे का प्रबंधन, मानव मल और मल कीचड़ का उपचार, और जल आपूर्ति जैसी बुनियादी सेवाएं शामिल हैं।
इस पहल से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि स्थानीय निकाय अपने क्षेत्रों में नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं और सेवाओं का प्रबंधन और सुधार कर सकें।
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केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए ये अनुदान ग्रामीण विकास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। यह न केवल स्थानीय निकायों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगा, बल्कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता, जल आपूर्ति, और अन्य बुनियादी सेवाओं में भी सुधार होगा, जो अंततः समाज के हर वर्ग की भलाई के लिए सहायक साबित होगा।