इस साल अक्षय तृतीया 10 मई यानी शुक्रवार को पड़ रही है। हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का खास महत्व है। अक्षय तृतीया हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया में मनाई जाती है।
इस तिथि का खास महत्व होता है क्योंकि ये अबूझ मुहूर्त तिथि होती है। अबूझ मुहूर्त तिथि का मतलब होता है कि इस दिन बिना किसी पंडित या ज्योतिष से पूछे कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। इस दिन पूजा-पाठ का भी विधान है। इसके अलावा इस दिन सोना-चांदी और घर का सामान खरीदने के लिए भी शुभ माना जाता है।
ज्योतिषों के अनुसार इस बार अक्षय तृतीया पर गजकेसरी राजयोग बन रहा है जो कि बहुत ही खास माना जाता है। इस बार 100 साल के बाद गजकेसरी राजयोग बन रहा है।#AkshayaTritiya #festival #AkshayaTritya pic.twitter.com/m71yeLpmLR
— Panchayati Times (@panchayati_pt) May 9, 2024
100 साल बाद गजकेसरी राजयोग
ज्योतिषों के अनुसार इस बार अक्षय तृतीया पर गजकेसरी राजयोग बन रहा है जो कि बहुत ही खास माना जाता है। इस बार 100 साल के बाद गजकेसरी राजयोग बन रहा है।
ज्योतिषों की मानें तो जब गुरु और चंद्रमा की युति होती है तब राजयोग बनता है। इस योग में कुछ राशि के जातकों पर मां लक्ष्मी, चंद्रदेव और गुरू बृहस्पति की खास कृपा रहती है। इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान विष्णु और कुबेर देव की पूजा का विधान है।
पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
- इस साल अक्षय तृतीया की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह पांच बजकर 13 मिनट से सुबह 11 बजकर 43 मिनट तक बताया गया है।
- पूजा के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि कर लें
- एक वेदी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
- फिर वेदी पर देवी लक्ष्मी-गणेश, भगवान विष्णु और कुबेर देव का प्रतिमा स्थापित करें।
- कुमकुम और चंदन का तिलक लगाएं।
- फिर फूल-फल इत्यादि का भोग लगाएं
- फिर कनकधारा स्तोत्र, विष्णु नामावली, कुबेर चालीसा, गणेश चालीसा का पाठ करें।