जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दर्दनाक आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी बढ़ गई है। आतंकियों द्वारा 26 बेगुनाह लोगों की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। शहीदों में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी शामिल थे, जो अपनी पत्नी के साथ हनीमून पर थे।
इस हमले के बाद केंद्र सरकार ने न सिर्फ पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक मोर्चा खोला बल्कि सैन्य स्तर पर भी सख्त रुख अपनाया। भारतीय नौसेना ने 26 अप्रैल को चार युद्धपोतों की समुद्र में एकसाथ तैनाती की तस्वीर साझा कर यह संदेश दिया कि वह हर चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस तस्वीर के साथ ‘एकता में शक्ति’ और #MissionReady जैसे हैशटैग इस्तेमाल किए गए।
पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम
सरकार ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने का बड़ा फैसला लिया, जो दशकों से दोनों देशों के बीच पानी के बंटवारे का आधार थी। साथ ही अटारी बॉर्डर चेकपोस्ट को बंद कर दिया गया और पाकिस्तान के सभी नागरिकों के वीजा तत्काल रद्द कर दिए गए। भारत ने इस हमले के बाद पाकिस्तानी रक्षा अधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर दिल्ली से वापस बुलाने का निर्देश भी दिया।
नौसेना की तैयारी और ताकत
भारत ने हाल ही में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण भी किया, जिसे INS सूरत से लॉन्च किया गया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि भारतीय नौसेना किसी भी प्रकार की आक्रामक कार्रवाई के लिए तैयार है।
अगर नौसेनिक ताकत की बात करें, तो भारत पाकिस्तान से कई गुना आगे है। भारतीय नौसेना के पास 293 जहाज हैं जिनमें दो अत्याधुनिक विमानवाहक पोत शामिल हैं। वहीं पाकिस्तान के पास सिर्फ 121 जहाज हैं और वह अभी भी चीन से आयातित तकनीक पर निर्भर है।
रणनीतिक स्थिति में भी भारत का पलड़ा भारी
भारत की लगभग 7000 किलोमीटर लंबी समुद्री तटरेखा और अंडमान-निकोबार जैसे सामरिक द्वीप समूह उसे मलक्का जलडमरूमध्य जैसे अंतरराष्ट्रीय समुद्री मार्गों पर रणनीतिक बढ़त देते हैं। इसके विपरीत, पाकिस्तान के पास सीमित समुद्री संसाधन हैं—जिनमें कराची, ग्वादर और पोर्ट कासिम जैसे तीन मुख्य बंदरगाह ही शामिल हैं।
इतिहास गवाह है भारत की ताकत का
1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना ने कराची बंदरगाह को भारी नुकसान पहुंचाया था। यह उस समय की सबसे बड़ी नौसेनिक जीतों में से एक थी, जिसने पाकिस्तान की समुद्री क्षमताओं को बुरी तरह झकझोर दिया था।
राष्ट्र एकजुट, आतंक के खिलाफ सख्त
पहलगाम हमले के बाद न सिर्फ सरकार बल्कि आम जनता भी आक्रोशित है। घाटी में सभी समुदायों ने आतंकवाद के खिलाफ बंद का आह्वान किया, जो दशकों में शायद पहली बार देखने को मिला। शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत ने देश को भावुक कर दिया है, लेकिन साथ ही पूरे राष्ट्र को एकजुट भी किया है।
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भारत ने अब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का ऐलान कर दिया है और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बेनकाब करने की मुहिम तेज कर दी गई है। सैन्य ताकत, कूटनीति और जनता के समर्थन के साथ भारत यह स्पष्ट कर चुका है कि अब कोई भी आतंकी हरकत बिना जवाब के नहीं छोड़ी जाएगी।