Kisan Andolan Delhi March: पंजाब के कई किसान संगठन अपनी विभिन्न मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन पर हैं। आज यानी आठ दिसंबर को किसानों ने एक बार फिर दिल्ली की तरफ कूच करने की कोशिश की लेकिन शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। जिसमें एक के घायल होने की खबर है। फिर पुलिस ने माहौल शांत करने के लिए किसानों पर फूल बरसाए जिस पर किसानों ने कहा कि, फूलों में केमिकल मिला हुआ था और उसी से उनकी तबीयत खराब हुई है।
बताया जा रहा है कि शंभू बॉर्डर पर किसान और पुलिस के बाच झड़प हुई। किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन पुलिस भी उनको लगातार रोकती रही। हरियाणा पुलिस ने किसानों से पहचान पत्र दिखाने को कहा, साथ ही ये भी कहा कि ये वो किसान नहीं हैं जिन 101 किसानों की लिस्ट हमें मिली थी। काफी देर झड़प के बाद किसान नेता सरवण सिंह पंधेर खुद किसानों को वापस लेने पहुंचे।
किसान नेता किसानों को लेकर वापस चले गए सात ही ये भी कहा कि अब मीटिंग के बाद ही कोई अगला कदम उठाएंगे।
बता दें कि अपनी मांगों को लेकर कई किसान संगठन फरवरी से शंभू बॉर्डर पर धरना देकर बैठे थे लेकिन उनका आरोप है कि सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी। अंतत:, किसानों ने 6 दिसंबर को दिल्ली की तरफ कूच किया लेकिन उन्हें रास्ते में ही रोक दिया गया। पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले भी दागे।
#WATCH हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर किसान विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर के मुताबिक, 101 किसानों का जत्था आज दोपहर 12 बजे दिल्ली की ओर कूच करेगा। pic.twitter.com/fxUM4GyiyX
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 8, 2024
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शंभू बॉर्डर पर किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, “हम कहते थे कि भगवंत मान सरकार (पंजाब की) केंद्र सरकार के साथ मिली हुई है। आज जिस तरह से मीडिया को रोका जा रहा है, मुख्यमंत्री और अरविंद केजरीवाल को आगे आकर इस पर सफाई देनी चाहिए। वे (AAP) कहते हैं कि वे किसानों और मजदूरों के साथ हैं, फिर वे मीडिया को क्यों रोक रहे हैं? भगवंत मान सरकार का चेहरा बेनकाब हो गया है। पहले हम केवल केंद्र सरकार के खिलाफ थे, लेकिन अब हमें राज्य सरकार से निपटना है। पंजाब सरकार केंद्र सरकार के कामों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है।
वहीं, पटियाला के SSP नानक सिंह ने कहा, “… मीडिया को नहीं रोका गया है। हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है। लेकिन मीडिया को जानकारी देना ज़रूरी था। पिछली बार हमें पता चला था कि 3-4 मीडियाकर्मी घायल हो गए हैं। उससे बचने के लिए हमने मीडिया को जानकारी दी… हम कोशिश करेंगे कि ऐसा न हो, लेकिन अगर कोई घायल होता है, तो उसे निकालने के लिए हमारे पास मेडिकल टीम है।’
दरअसल किसानों ने सरकार पर आरोप लगाए हैं कि सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेते समय कई वाद किए थे जो अभी तक पूरे नहीं हुए। किसानों का कहना है कि सरकार ने वादा किया था वो एमएसपी पर गारंटी देने वाला कानून बनाएगी, वो वादा अभी तक पूरा नहीं हुआ है।
इन मांगों पर अड़े किसान..
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी।
- कृषि ऋण माफी।
- किसान पेंशन।
- 2021 के आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग।
- लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग।
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली।
किसानों ने मांगें पूरी ना होने पर कठोर कदम उठाने की बात कही है।