Lateral Entry Controversy: देश की सर्वोच्च परीक्षा यूपीएससी में लेटरल एंट्री को लेकर बड़ी खबर सामने आ रहीहै। UPSC में 45 पदों को लेटरल एंट्री के माध्यम से भरने का एड जारी किया गया था जिस पर केंद्र सरकार ने मंगलवार को रोक लगा दी है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने जब से इससे संबंधी विज्ञापन जारी किया था तब से राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा हो रही है। विपक्ष ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ये संविधान का उल्लंघन है और इसमें आरक्षण को नजरअंदाज किया गया है।
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लगातार चल रही बहस के बीच मंगलवार को केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। इस संबंध में कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगाई गई है।
क्या है लेटरल एंट्री कैसे होती है भर्ती?
लेटरल एंट्री के बारे में कई लोग नहीं जानते होंगे। इसमें किस प्रक्रिया से भर्ती होती है और विपक्ष क्यों इसका विरोध कर रहा है। आइए जानते हैं….
लेटरल एंट्री का साधारण मतलब है सीधी सरकारी पदों पर भर्ती। यानि विज्ञापन के जरिए भर्ती निकालना जैसे प्राइवेट सेक्टर में की जाती है।
यूपीएससी ने भी इस तरफ से 45 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। जिसमें सरकार अलग-अलग मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर/डिप्टी सेक्रेटरी जैसे पदों पर प्राइवेट सेक्टर के लोगों को कॉन्ट्रैक्ट के तहत रखा जाता है। जिन पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया है, उन पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस) और अन्य ‘ग्रुप ए’ सर्विस के अधिकारी होते हैं।