यूपी के जानेमाने माफिया मुख्तार अंसारी को एक बार फिर उम्रकैद की सजा सुनाई गई। बताया जा रहा है कि 33 वर्ष 3 महीने 9 दिन पुराने गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में बुधवार को वाराणसी की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सजा के साथ ही मुख्तार पर दो लाख दो हजार का जुर्माना भी लगाया गया है।
बता दें कि वाराणसी की एमपी एमएलए कोर्ट ने मंगलवार को मुख्तार अंसारी को 36 साल पुराने मामले में दोषी करार दिया था। और बुधवार को सजा का एलान कर दिया गया।
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माफिया मुख्तार अंसारी की सजा को लेकर 54 पेज का फैसला आया। मुख्तार सफेद टोपी और सदरी पहने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बांदा जेल से पेश हुआ।
मुख्तार के वकील ने बताया कि वो एमपी एमएलए कोर्ट के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। जिस माफिया से कभी लोग थर-थर कांपते थे आज उसकी हालत बद से बदतर हो गई है।
ये है मामला
गाजीपुर के मुहम्मदाबाद थाने में 4 दिसंबर, 1990 को मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद खिलाफ एक मुकदमा दर्ज कराया गया था। रिपोर्ट्स की मानें तो 10 जून, 1987 को मुख़्तार ने एक दुनाली बंदूक के लाइसेंस के लिए गाजीपुर डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट के पास प्रार्थना पत्र दिया था। उस पर आरोप लगे कि मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से उसने लाइसेंस लिया था।
बताते चलें कि इससे पहले मुख्तार अंसारी को कृष्णानंद राय हत्याकांड केस में कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई थी। सजा के साथ ही कोर्ट ने उस पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। मुख्तार पर गैंगस्टर एक्ट में केस भी दर्ज किया गया था।
ये था मामला
29 नवंबर 2005 को गाजीपुर की मोहम्मदाबाद सीट से बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय अपने काफिले के साथ भांवरकोल ब्लॉक में एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने गए थे। जब कृष्णानंद राय वहां से लौट रहे थे तो बसनिया चट्टी के पास मुख्तार के हमलावरों ने उनके काफिले पर हमला कर दिया गया था और उनकी मौत हो गई थी।