PM Modi New cabinet meeting: पीएम नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में कमान संभाली। सोमवार यानि 10 जून को मोदी सरकार 3.0 की पहली कैबिनेट मीटिंग हुई। जिसमें सबसे पहला फैसला प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत तीन करोड़ नए घर बनाने का लिया गया।
बता दें कि ये योजना 2015-16 में शुरू की गई थी जिसमें अभी तक शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में 4.21 करोड़ घर निर्मित और बंट चुके हैं। अब मोदी सरकार ने तीसरी बार कमान संभालते ही 3 करोड़ नए घर बनाने का लक्ष्य रखा है। ये मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की पहली बैठक का पहला बड़ा फैसला बताया जा रहा है।
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अब इस पर विपक्ष भी वार-प्रतिवार पर उतर आया है। कांग्रेस में मोदी कैबिनेट के इस फैसले पर प्रहार किया है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को कहा- ‘लोकसभा चुनाव में देश ने ऐसा जवाब दिया कि मोदी सरकार को दूसरों के घरों से कुर्सियां उधार लेकर अपना सत्ता का “घर” संभालना पड़ रहा है।
17 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री जी ने देश को “मोदी की गारंटी” दी थी कि 2022 तक हर भारतीय के सिर पर छत होगी। ये गारंटी तो खोखली निकली। अब 3 करोड़ PM आवास देने का ढिंढोरा ऐसे पीट रहे हैं, जैसे पिछली गारंटी पूरी कर ली हो!
इस बार इन 3 करोड़ घरों के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है। भाजपा ने पिछले 10 वर्षों में कांग्रेस-UPA के मुक़ाबले पूरे 1.2 करोड़ घर कम बनवाए।
कांग्रेस (2004-13) = 4.5 करोड़ घर
भाजपा (2014-24) = 3.3 करोड़ घर
मोदी जी की आवास योजना में 49 लाख शहरी आवास – यानी 60% घरों का अधिकांश पैसा जनता ने अपनी जेब से भरा। एक सरकारी बेसिक शहरी घर औसतन 6.5 लाख का बनता है, उसमें केंद्र सरकार केवल 1.5 लाख देते है। इसमें 40% योगदान राज्यों और नगरपालिका का भी होता है। बाक़ी का बोझ का ठीकरा जनता के सिर पर आता है। वो भी क़रीब 60% का बोझ। ऐसा संसदीय कमेटी ने कहा है।’
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे कहा- ‘समाचार पत्रों से पता चला है कि नरेंद्र मोदी जी ने वाराणसी में जो “सांसद आदर्श ग्राम योजना” के तहत 8 गाँवों को विकसित करने के लिए गोद किया था वहाँ ग़रीबों के पास, ख़ासकर दलित व पिछड़े समाज के पास अब तक पक्के घर नहीं पहुँचे। अगर कुछ घर हैं तो भी उनमें पानी नहीं पहुँचा है, नल तक नहीं है।
जयापुर में, जो मोदी जी द्वारा गोद लिया गया पहला गाँव है, कई दलितों के पास घर और कार्यात्मक शौचालय नहीं हैं। नागेपुर में भी स्थिति ऐसी ही है – और इसके अलावा, सड़कें भी खराब स्थिति में हैं। परमपुर में पूरे गांव में नल लगे हैं लेकिन उन नलों में पानी नहीं है। पूरेगांव में पिछले दो महीनों से पानी की आपूर्ति नहीं थी। वहां कई दलित और यादव समाज के लोग मिट्टी के घरों में रहते हैं।’