देश में तीसरी बार मोदी सरकार..नरेंद्र मोदी ने 9 जून को राष्ट्रपति भवन में लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली। पीएम मोदी के साथ 71 सांसदों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। ये मोदी सरकार में अभी तक का सबसे बड़ा मंत्रिमंडल है। बता दें कि 2014 में मोदी कैबिनेट में 46 सांसदों को मंत्री पद दिया गया था। उस समय पीएम मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने थे फिर 2019 में उनके मंत्रिमंडल में 59 मंत्रियों को शपथ दी गई थी। इस बार 30 सांसदों को कैबिनेट में जगह मिली है और 36 सांसदों को राज्य मंत्री बनाया गया है। वहीं, 5 राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सौंपा गया है।
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पीएम मोदी के शपथ लेने के बाद, सोमवार यानि 10 जून को यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने नवनियुक्त केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह और नितिन गडकरी से मुलाकात की। योगी आदित्यनाथ की इस मीटिंग के कई मायने निकाले जा रहे हैं। पीएम के शपथ ग्रहण और संसदीय कार्यकारिणी की बैठक से योगी आदित्यनाथ की एक फोटो वायरल हो रही है। जिसमें सीएम योगी काफी उदास दिख रहे हैं। वहीं, एक बार फिर यूपी में बीजेपी के खराब प्रदर्शन की बात उठ रही है।
जहां से शुरू होती है राजनीति..वहां क्यों हार गई बीजेपी?
वहीं, उत्तर प्रदेश में बीजेपी को इस बार लोगों का साथ नहीं मिल पाया। यूपी के बारे में कहा जाता है कि गंगा की लहरों की तरह ही यहां के वोटरों का मन भी बदलता रहता है। एक चुनाव में जिसे वे सिर-आंखों बिठाते हैं वहीं, मन अगर बदल जाए तो सबक भी सीखा देते हैं।
लेकिन यूपी में इस बार सबसे ज्यादा चर्चा अयोध्या के फैजाबाद की है। क्या हुआ जो यूपी में BJP का बिगड़ गया खेल, जानिए इतनी ‘बड़ी हार’ के प्रमुख कारण..
पहला कारण… उम्मीदवारों का चुनाव
शुरूआत में ही लग रहा था कि बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों का चुनाव ठीक से नहीं किया है। बीजेपी ने जिन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था वो शायद लोगों को पसंद नहीं आए। इसलिए मतदाताओं ने घरों से निकलना ठीक नहीं समझा।
दूसरा कारण..सपा ने उम्मीदवारों के मामले में बरती सावधानी
अखिलेश यादव ने इस बार जातिगण समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अपने प्रत्याशी उतारे। इस बार सपा ने सिर्फ एक समुदाय या जाति को नहीं देखा।
तीसरा कारण..संविधान बदलने की फेक हवा
पीएम नरेंद्र मोदी ने जब अपना चुनावी नारा.. ‘इस बार 400 पार’.. दिया तो लोगों के बीच अफवाह फैल गई कि बीजेपी को 400 पार इसलिए चाहिए क्योंकि बीजेपी संविधान बदलना चाहती है। इसी का फायदा उठाते हुए कांग्रेस और सपा ने इसे आरक्षण से जोड़ दिया।
चौथा कारण..मायावती के कैंडिडेट ने बिगाड़ा खेल
बसपा प्रमुख मायावती के उम्मीदवारों ने भी सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए फायदे का काम किया। दलित वोटों में काफी बंटवारा हुआ जिससे भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा।