शहीद कैप्टन अंशुमान की मां मंजू सिंह ने राहुल गांधी से मुलाकात करने के बाद अग्निवीर पर कहा कि फ़ौज दो तरह का नहीं होना चाहिए। सरकार से उम्मीद है कि राहुल गांधी का जो भाषण है उसे सुने और उस पर विचार करे। मैं सरकार से निवेदन करूंगी कि वो फ़ौज को न बांटे। पिछले दिनों राष्ट्रपति ने शहीद कैप्टन अंशुमान को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया था।
राहुल गांधी से मुलाकत पर बोली कि राष्ट्रपति भवन में अलंकार समारोह के दौरान उन्होंने मुझसे नंबर लिया था और कहा था कि हम मिलेंगे। उनसे मुलाकात करके सकारात्मकता आई है। वो अग्निवीर पर बात करते हुए बोली कि चार साल अच्छा नहीं लग रहा। जो बच्चा चार साल बाद जाएगा वो क्या करेगा। क्यूंकि उसका शारीरिक और मानसिक रूप से हानि हो गया रहता है।
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क्यों मिला शहीद कैप्टन अंशुमान को कीर्ति चक्र
19 जुलाई 2023 की रात के दौरान, सियाचिन ग्लेशियर पे चंदन ड्रॉपिंग जोन में एक बड़ी आग की घटना घटी। कैप्टन ने आग की लपटें देख अपनी बंकर से बाहर निकल गए। उन्होंने बगल की फाइबर ग्लास बंकर से 4-5 लोगों को बचाया, जो धुएं से भरी हुई थी और आग लगने की कगार पर थी। उन्होंने लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने का निर्देश दिया। इस बीच, उन्होंने देखा कि दवाइयों और अन्य आवश्यक चिकित्सा उपकरणों से भरा मेडिकल इन्वेस्टिगेशन शेल्टर भी भीषण आग की चपेट में आ गया है। इन जीवन रक्षक चिकित्सा सहायता को बचाने के लिए कैप्टन अंशुमान सिंह, अपनी सुरक्षा और कल्याण की परवाह किए बिना, इन दवाओं और उपकरणों को प्राप्त करने के लिए मेडिकल इन्वेस्टिगेशन शेल्टर में प्रवेश कर गए, हालांकि, वह बाहर निकलने का रास्ता नहीं बना सके क्योंकि आग की लपटें फैल चुकी थीं और चारों ओर से घिर चुकी थीं। लगातार कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
कैप्टन अंशुमान सिंह ने अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना असाधारण बहादुरी और सर्वोच्च कोटि के संकल्प का प्रदर्शन किया। भारतीय सेना की बेहतरीन परंपराओं को प्रतिबिंबित करने वाले विशिष्ट वीरता और बलिदान के लिए, कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत “कीर्ति चक्र” से सम्मानित किया गया।
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शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी ने पुरस्कार प्राप्त करने के बाद क्या बोली?
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति ने पुरस्कार प्राप्त करने के बाद बताया कि दो महीने के शादी के बाद ही वह शहीद हो गए। शहीद होने से एक दिन पहले 18 जुलाई को हम दोनों की लम्बी बात हुई थी, आगे के सालों, बच्चों और घर को लेकर। अगले दिन ही उनके शहीद होने की जानकारी मिली, जिसपर विश्वास करना मुश्किल था।