शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह को वीरता के लिए मरणोपरांत “कीर्ति चक्र” से राष्ट्रपति ने सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यह वीरता पुरस्कार शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की मां रंजू और पत्नी स्मृति को दिया। बता दें कि कीर्ति चक्र शांति कालीन द्वितीय सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।
उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले कैप्टन अंशुमान सिंह को 19 मार्च 2020 को आर्मी मेडिकल कोर में नियुक्त किया गया था। अधिकारी ऑपरेशन मेघदूत के तहत चंदन कॉम्प्लेक्स के मेडिकल ऑफिसर के रूप में पंजाब रेजिमेंट की 26 बटालियन में शामिल हुए।
क्यों मिला शहीद कैप्टन अंशुमान को कीर्ति चक्र
19 जुलाई 2023 की रात के दौरान, सियाचिन ग्लेशियर पे चंदन ड्रॉपिंग जोन में एक बड़ी आग की घटना घटी। कैप्टन ने आग की लपटें देख अपनी बंकर से बाहर निकल गए। उन्होंने बगल की फाइबर ग्लास बंकर से 4-5 लोगों को बचाया, जो धुएं से भरी हुई थी और आग लगने की कगार पर थी। उन्होंने लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने का निर्देश दिया। इस बीच, उन्होंने देखा कि दवाइयों और अन्य आवश्यक चिकित्सा उपकरणों से भरा मेडिकल इन्वेस्टिगेशन शेल्टर भी भीषण आग की चपेट में आ गया है। इन जीवन रक्षक चिकित्सा सहायता को बचाने के लिए कैप्टन अंशुमान सिंह, अपनी सुरक्षा और कल्याण की परवाह किए बिना, इन दवाओं और उपकरणों को प्राप्त करने के लिए मेडिकल इन्वेस्टिगेशन शेल्टर में प्रवेश कर गए, हालांकि, वह बाहर निकलने का रास्ता नहीं बना सके क्योंकि आग की लपटें फैल चुकी थीं और चारों ओर से घिर चुकी थीं। लगातार कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
कैप्टन अंशुमान सिंह ने अपनी सुरक्षा की परवाह किए बिना असाधारण बहादुरी और सर्वोच्च कोटि के संकल्प का प्रदर्शन किया। भारतीय सेना की बेहतरीन परंपराओं को प्रतिबिंबित करने वाले विशिष्ट वीरता और बलिदान के लिए, कैप्टन अंशुमान सिंह को मरणोपरांत “कीर्ति चक्र” से सम्मानित किया गया।
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी ने पुरस्कार प्राप्त करने के बाद क्या बोली?
शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति ने पुरस्कार प्राप्त करने के बाद बताया कि दो महीने के शादी के बाद ही वह शहीद हो गए। शहीद होने से एक दिन पहले 18 जुलाई को हम दोनों की लम्बी बात हुई थी, आगे के सालों, बच्चों और घर को लेकर। अगले दिन ही उनके शहीद होने की जानकारी मिली, जिसपर विश्वास करना मुश्किल था।
कब मिले थें दोनों
कैप्टन अंशुमान और उनकी पत्नी स्मृति कॉलेज के पहले साल में मिले थें। पहली नजर में ही प्यार हो गया था। एक महीने के बाद ही उनका चयन आर्मी फोर्सेज मेडिकल कॉलेज में हो गया। वह बहुत प्रतिभाशाली थें। आठ सालों तक दोनों एक-दूसरे के संपर्क में रहने के बाद दोनों ने शादी की। उन्होंने कहा की अभी तक विश्वास नहीं हो रहा ही वह हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन यह सच है। अब हमारे हाथ में कृति चक्र है।
वह हीरो हैं। हम अपनी जिंदगी में मैनेज करेंगे क्यूंकि उन्होंने बहुत कुछ मैनेज किया, अपनी जिंदगी, परिवार के लिए। वह बहुत योग्य थें। वह हमें कहा करते थें, मैं साधारण मौत नहीं मरूंगा। अपने सीने पर गोली खा कर मरूंगा।