दिल्ली का कुतुब मीनार रविवार की शाम को रंगों से रोशन दिखा। 1994 में अफ्रीकी देश रवांडा में हुए खौफनाक नरसंहार (Rwanda Genocide) की 30वीं बरसी की याद में रविवार को दिल्ली का कुतुब मीनार, रवांडा के झंडे के रंगो से जगमगा उठा।
बता दें कि पिछले साल 7 अप्रैल, 2023 को गांधी मंडेला फाउंडेशन के सहयोग से दिल्ली में एक इवेंट आयोजित हुआ था। जिसमें रवांडा नरसंहार की 29वीं बरसी की याद में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। रवांडा से आए लोगों ने उस खौफनाक नरसंहार की कहानी बताई तो सबकी आंखें नम हो गईं।
गांधी मंडेला फाउंडेशन के संस्थापक और महासचिव एडवोकेट नंदन कुमार झा ने रवांडा से आए सभी अतिथियों का स्वागत किया। साथ ही छोटे बच्चों ने पेटिंग के माध्यम से भी नरसंहार की कहानी बताई।
कुतुब मीनार की रोशनी
07 अप्रैल 2024 को, भारत सरकार ने रवांडा में तुत्सी के खिलाफ 1994 के नरसंहार की स्मृति का सम्मान करने के लिए रवांडा के झंडे के रंग, कुतुब मीनार को रोशन किया।@RwandaMFA @MEAIndia @MUKANGIRA1#IlluminationofQutbMinar #QutbMinar #PanchayatiTimes pic.twitter.com/oCD8aQfoNH
— Panchayati Times (@panchayati_pt) April 8, 2024
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विदेश मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ‘भारत ने आज कुतुब मीनार को रवांडा के झंडे के रंगो से रोशन किया। जो रवांडा के लोगों के साथ एकजुटता दिखाने का एक जरिया है।’ रवांडा के राष्ट्रीय ध्वज में कुतुब मीनार का नया रूप देखकर लोग अचरज में पड़ गए। इस अद्भुत कला के माध्यम से भारत और रवांडा के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और मजबूती मिली।
इस कार्यक्रम में दोनों देशों के संगीत, नृत्य, और साहित्य की विभिन्नता का भी खूबसूरती के साथ प्रदर्शन किया गया। इस अद्भुत दृश्य से लोगों के जहन में भीषण नरसंहार की याद ताजा हो गई। यही वजह थी जब इस नरसंहार की याद में दिल्ली का कुतुब मीनार (Qutub Minar) रवांडा के झंडे के रंग में दिखा।
बता दें कि इस नरसंहार में तुत्सी समुदाय के लोगों पर हमला किया गया था जिसमें करीब दस लाख लोग मारे गए थे। यह इशारा तुत्सी के खिलाफ 1994 के नरसंहार की याद में एक श्रद्धांजलि के रूप में था।
#Kwibuka30, 07th April 2024: In a strong move of solidarity with Rwanda and its people, the Govt of India illuminated with Rwandan colours the Qutb Minar; one the tallest iconic monuments of India and UNESCO Heritage Site. #Remember, Unite, Renew @RwandaMFA @MEAIndia @MUKANGIRA1 pic.twitter.com/SuzizwFxtU
— Rwanda in India (@RwandainIndia) April 7, 2024
वीडियो में आप देख सकते हैं कि रविवार रात आठ बजे से 8 बजकर 45 मिनट तक कुतुब मीनार रवांडा के झंडे के रंग में रंगा रहा। इस मौके पर भारत सरकार के प्रतिनिधियों के साथ ही भारत में रवांडा की उच्चायुक्त मुकान्गिरा जैकलीन की भी मौजूदगी रही। बताते चलें कि पिछले कुछ सालों में भारत और अफ्रीकी देश रवांडा के बीच अच्छे संबंध देखने को मिल रहे हैं। जुलाई 2018 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागामे के निमंत्रण पर
रवांडा दौरे पर गए थे।
रवांडा नरसंहार
1994 में रवांडा में हुए खौफनाक नरसंहार को “रवांडा जनसंहार” या “रवांडा के जनहत्या” के रूप में जाना जाता है। यह घटना रवांडा के इतिहास का एक अत्यंत दुखद अध्याय था।
1994 में रवांडा में हजारों लोगों की हत्या की गई थी। इस हत्याकांड का पीछा कई वर्षों तक चलता रहा है और इसके पीछे कई कारण थे, जिसमें यह सबसे महत्वपूर्ण था कि रवांडा में इथनिक या जातीय समस्याएं बहुत ही गहराई से स्थायी हो चुकी थीं। जनसंहार के पीछे इस इथनिक सम्प्रदायों के बीच हुए संघर्ष का भी बड़ा योगदान था।
यह हत्याकांड लगभग तीन महीने तक चलता रहा, जिसमें लोगों को तलवार और अन्य हथियारों का इस्तेमाल करके हत्या की गई। इस घटना के बाद, रवांडा को लगभग 10 प्रतिशत से भी अधिक जनसंख्या की विपदा हो गई थी, जिसमें करीब दस लाख लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद, अन्तरराष्ट्रीय समुदायों ने रवांडा में न्याय और सुरक्षा की स्थिति को लेकर कड़े उत्तरदायित्व का आरोप लगाया।