कांग्रेस ने देश की वीआईपी सीटों में शामिल बहुप्रतीक्षित अमेठी से किशोरी लाल शर्मा और रायबरेली से राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाया है।
2019 में अमेठी से हार गए थें राहुल गांधी
राहुल गांधी अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत अमेठी से ही की थी। राहुल 2004 में अमेठी लोकसभा से चुनाव लड़ें और बड़े अंतर से जीत दर्ज की। इसके बाद वे 2009, 2014 में भी यहाँ से जीत दर्ज की। 2019 में उन्हें स्मृति ईरानी के हाथों लगभग 55000 वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। 2019 में ही राहुल केरल के वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ें थें जहां से उन्हें जीत मिली थी।
संजय, राजीव, सोनिया और राहुल गांधी ने चुनावी राजनीति की शुरुआत अमेठी से की
अमेठी से सर्वप्रथम इंदिरा गांधी के बड़े बेटे संजय गांधी ने 1977 में चुनाव लड़ा था जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद वे 1980 में लोकसभा का चुनाव लड़ें जिसमें उन्हें जीत मिली। संजय गांधी की मौत 23 जून 1980 को एक हवाई दुर्घटना में हो गई। जिसके कारण इस सीट पर 1981 में हुए उपचुनाव में राजीव गांधी ने चुनाव लड़ा और जीत दर्ज किया। इसके बाद 1984, 1989, 1991 में उन्होंने यहां से जीत दर्ज की। इसके बाद सोनिया गांधी ने भी चुनावी राजनीति की शुरुआत 1999 में यहीं से की। वह यहां से 1999 में लोकसभा का चुनाव लड़ी और जीत कर पहली बार सांसद बनी। 2004 में राहुल गांधी ने भी यहीं से चुनावी राजनीति की शुरुआत की। 1998 को छोड़कर 1980 से 2014 तक यहां से कांग्रेस ही जीती है।
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रायबरेली से हार चुकी है इंदिरा गांधी
उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा का सीट गांधी परिवार का गढ़ रहा है। यहां से सबसे पहले 1952 और 1957 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता। उसके बाद इंदिरा गांधी ने 1967 में लोकसभा का चुनाव लड़ चुनावी राजनीति में कदम रखी। इंदिरा गांधी यहां से 1967, 1971 और 1980 में सांसद बनकर देश की प्रधानमंत्री बनी। 1977 में इंदिरा गांधी को जनता पार्टी के उम्मीदवार राज नारायण से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2004 में सोनिया गांधी अमेठी सीट राहुल गांधी के लिए छोड़ने के बाद रायबरेली से चुनाव लड़ी और जीती। सोनिया गांधी ने 2004 से लेकर 2019 तक इस सीट से सांसद रहीं। अब वह राजस्थान से राज्यसभा की सांसद है।