सवाल ये है कि कैसे पता चलेगा कि घर आया है वही जो घर से चला गया था कहीं? डीएनए टेस्ट से पता चलेगा, इसलिए वही कोशिश की गई है लेकिन अभी रिज़ल्ट का इंतज़ार है.
कहानी ये जिन्दा है. जिन्दा कहानी का मतलब ये सच है लेकिन आपकी मर्ज़ी आप इसे कहानी भी मान सकते हैं क्योंकि इसमें जो मुख्य किरदार है उसने कहानी सुनाई है या सच बयान किया है -अभी सामने आना बाकी है.
हुआ था बचपन में अपहरण – 30 साल तक राजू ने भेड़-बकरी चराई – अब हुई घरवापसी – लेकिन बात बन नहीं पाई.. क्या है ये सारा मामला, आइये शुरू से करते हैं शुरू.
ये है जैसलमेर से लौटे गाजियाबाद के राजू की भावुक कहानी. इस कहानी की शुरुआत तीस साल पहले होती है याने 1994 में गाजियाबाद का एक लड़का अचानक कहीं गायब हो गया. लड़के का नाम राजू था. परिवार के लोगों और पुलिस ने उसे खूब खोजा मगर उसे नहीं ढूंढ सके. फिर अचानक 2024 में राजू अचानक अपने घर पहुंच गया है.
लेकिन राजू के साथ क्या सच भी घर चल कर आया है -कहा नहीं जा सकता. कारण ये कि कुछ चीज़ें बता रही हैं कि ये जो दिख रहा है, सच नहीं है.
गाजियाबाद के राजू की कहानी में इसकी जिंदगानी के तीस साल बहुत अहम हैं. इस दौरन उसके साथ क्या-क्या हुआ और उसने क्या-क्या किया – ये सभी बातें जान लेना जरूरी है क्योंकि यही वो सच्चाइयां हैं जो आज के राजू की शख्सियत का सच सामने ला सकती हैं.
बात है 1994 की
साल 1994 में तीस साल पहले एक सुबह जब बारह वर्षीय राजू स्कूल गया, तो शाम को घर लौट कर नहीं आया. सब तरफ खोज हुई सबने खोज की..परिवार और पुलिस ने दिन रात तलाशा लेकिन राजू का कुछ पता नहीं चला. उसके बाद समय अपनी गति से आगे बढ़ता रहा. वो कहानी पीछे छूटती चली गई और फिर धीरे-धीरे तीन दशक बीत गए.
स्कूल गया था फिर आया नहीं
लेकिन तीन दशकों बाद अचानक एक सुबह ऐसी आई कि सबको अचरज में डाल गई. घर वालों ने देखा कि उनका राजू वापस लौट आया है. राजू भी अपने परिवार से मिलकर फफक-फफक कर रो पड़ा. घर वालों को लगा कि उनके जीवन की सबसे बड़ी तमन्ना पूरी हो गई. सहसा विश्वास किसी को नहीं हुआ लेकिन ख़ुशी इतनी हुई कि इससे पहले जितनी कभी नहीं हुई थी.
‘दीदी से हुई थी लड़ाई उस दिन’
राजू ने बताया कि वो कैसे गायब हुआ था और इतने साल कहाँ रहा. इतने साल उसने क्या किया और कैसे आज उसकी अचानक वापसी हो गई. हुआ यूँ कि दरअसल तीस साल पहले जिस दिन राजू गायब हुआ था, उसकी बहन से उस दिन उसकी लड़ाई हो गई थी. वह गुस्से में आ कर स्कूल के रास्ते में अपनी बहन से अलग होकर सड़क किनारे बैठ गया था. दीदी भी नाराज़ थी, उसने भी उसकी तरफ नहीं देखा और आगे निकल गई. दीदी को लगा कि राजू नाटक कर रहा है, खुद ही पीछे पीछे आ जाएगा. पर ऐसा हुआ नहीं. राजू घर आया ही नहीं.
हुआ ये था कि जिस समय राजू सड़क किनारे बैठा हुआ था, वहां से उस समय एक टेंपो गुजरा. उस टेम्पो में सवार लोग अच्छे नहीं थे. बच्चे को चुराने का मौका अच्छा पाया तो उन्होंने मौके का फायदा उठाया और वे बड़े आराम से राजू को उठा ले गए.
उत्तरप्रदेश से राजस्थान तक
टेम्पो वाले वो असामाजिक तत्व राजू को गाजियाबाद से उठा कर जैसलमेर ले गए. और फिर उन्होंने वहीं उसे कैद कर लिया. ये थी पहले दिन की राजू की चोरी की कहानी जो उत्तरप्रदेश से राजस्थान पहुंची थी.
कहानी अभी बहुत बाकी है दोस्तों पढ़िए अगले भाग में.