कांग्रेस महासचिव (संचार विभाग) जयराम रमेश ने एक बयान जारी कर कहा कि वर्षों के टालमटोल और कायरता के प्रदर्शन के बाद, सुप्रीम कोर्ट के दबाव में आखिरकार भारत के शेयर बाजार नियामक SEBI ने अडानी महाघोटाले के प्रमुख खिलाड़ियों की पहचान कर ली है। मोदानी और गोदी मीडिया ने पिछले साल जिस “क्लीन चिट” का दावा किया था हक़ीक़त उससे कोसों दूर है। रॉयटर्स की एक समाचार रिपोर्ट बताती है कि SEBI ने पाया है कि “अडानी ग्रुप की कंपनियों में निवेश किए गए एक दर्जन ऑफशोर फंड्स डिस्क्लोज़र नियमों और निवेश सीमा के उल्लंघन के लिए ज़िम्मेदार थे।” अडानी के साथ पीएम मोदी का मजबूत और व्यक्तिगत इलेक्टोरल बॉन्ड अब इन ग़ैरक़ानूनी कार्यों को नहीं छुपा सकता।
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कांग्रेस नेता ने कहा कि शक की सुई सीधे तौर पर अडानी के करीबी सहयोगियों नासिर अली शाहबान अहली और चांग चुंग-लिंग की ओर जाती है। पहले यह बताया गया था कि सेबी अपतटीय टैक्स हेवेन के माध्यम से शेयर स्वामित्व नियमों का उल्लंघन करने, शेयर मूल्यों में हेरफेर करने और मनी लॉन्ड्रिंग एवं राउंड ट्रिपिंग को अंजाम देने के लिए अडानी समूह के साथ मिलकर काम करने के लिए अहली की ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड-निगमित शेल कंपनी गल्फ एशिया ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट फंड की जांच कर रही थी।
संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) ने पहले खुलासा किया था कि चांग और अहली ने 2013 और 2018 के बीच अडानी समूह में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए बेनामी फंड का इस्तेमाल किया था। अपने निवेश के चरम पर, इन लोगों ने अडानी पावर, अ़डानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स और अडानी ट्रांसमिशन में 8 से 14 प्रतिशत शेयरों पर नियंत्रण पर स्थापित कर लिया था। इन लेनदेन के परिणामस्वरूप अडानी समूह की कंपनियों में 20,000 करोड़ रुपए की बेनामी धनराशि प्रवाहित हुई थी।
जयराम रमेश ने कहा कि अडानी महाघोटाले में भारतीय प्रतिभूति कानूनों के इन घोर उल्लंघनों पर लंबे समय से लंबित सेबी की रिपोर्ट के तत्काल प्रकाशन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हम यह मानते हैं कि ये उल्लंघन अडानी महाघोटाले का एक हिस्सा हैं। इस महाघोटाले के अन्य महत्वपूर्ण पहलू ये हैं:
• भारत में बिजली संयंत्रों के लिए अडानी द्वारा इंडोनेशिया से आयात किए जा रहे कोयले की कीमत चमत्कारिक रूप से दोगुनी हो गई। इसकी लागत उन भारतीय उपभोक्ताओं पर डाली गई, जो पहले से ही बिजली की उंची कीमतों से परेशान थे।
• महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र की कंपनियों को संपत्ति बेचने के लिए मजबूर करने और प्रधानमंत्री के करीबी मित्रों को संपत्ति बनाने एवं एकाधिकार करने में मदद करने के लिए ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग;
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• बांग्लादेश, श्रीलंका और अन्य देशों में अडानी को कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए अपने राजनयिक संसाधनों का उपयोग करना
अडानी मेगास्कैम की पूरी जांच केवल JPC ही कर सकती है। जैसे ही जून 2024 में INDIA गठबंधन सत्ता संभालेगा, JPC का गठन किया जाएगा।