हैरान करती है ये बात कि केले को नहलाना जरूरी है…मगर ज्यादा हैरान करने वाली बात तब होती है जब आपको पता चलता है कि केले को नहीं नहलाने से क्या-क्या नुक्सान हैं!
जब भी आप सेब खाते हैं या कोई दूसरा फल खाने वाले होते हैं – आप हमेशा उसको धो लेते हैं. जैसा आपके किचेन में सब्जी के साथ किया जाता है. खाएं या बनाएं धोना पहले जरूरी है. चाहे बात फलों की हो या सब्जियों की -दोनों को जाना तो पेट में ही होता है न.
लेकिन कुछ फलों के मामले में ऐसा नहीं होता और फलियां भी हैं कुछ ऐसी ही जिनके मामले में भी ऐसा नहीं होता. चाहे बात केले की हो या मूंगफली की -आप छील कर उसे खाना ही पसंद करते हैं उसके पहले उसे धोना जरूरी नहीं समझते. ऐसा इसलिए क्योंकि हमे लगता है भगवान जी ने ही उसको धो कर भेजा है हमारे लिए. ये छिलका भगवान जी का स्क्रीन प्रोटेक्टर है, तो फिर डरने की क्या बात है!
अगर आपका केला कभी रसोई के सिंक की तरफ नहीं गया है, तो वो किस्मत वाला है और आप थोड़ा कम किस्मत वाले हैं. आपको उन TikTok विडियोज़ को देख कर कभी-कभी आश्चर्य होता होगा जिनमे लोगों को फल खरीदने के बाद उनको धोने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
इस तरह के वीडियोज़ दावा करते हैं कि फल-मक्खियाँ केले के ऊपर अंडे देती हैं, इस कारण ही शायद कभी-कभी हमारी रसोई में मक्खियों का झुंड नज़र आता है. रसोई हो या आपका पेट – क्या सफाई बनाये रखने के लिए हमे इस पोटेशियम-पावरहाउस को नहलाना चाहिए?
ये बात समझने के लिए कीट विज्ञानियों के कुछ बयानों पर गौर करना जरूरी हो जाता है.
‘फल-मक्खियों का संक्रमण तो होता है’
सबसे पहले तो इन विशेषज्ञों के बयानों से ये बात स्पष्ट हो गई कि हाँ, फल-मक्खियों का संक्रमण होता है फल के ऊपर. वैसे उनका ये भी मानना है कि केले दूसरे फलों की तुलना में नन्हे कीड़ों के लिए सहज रूप से अधिक आकर्षक नहीं होते. लेकिन भगवान ने केलों के भीतर कुछ ऐसी विशेषताएं डाल दी हैं हैं जो उनको विशेष रूप से कमजोर बनाती हैं. इस कमजोरी से आपको खतरा हो सकता है. इसलिए जो काम केला खुद नहीं कर सकता आपको करना है. याने केले को नहलाना है (खाने से पहले)..ताकि खाने से पहले वो सुरक्षित रहे और खाने के बाद आप!
‘मक्खियों से छुपने में नाकाम है हमारा केला’
मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी एक्सटेंशन में उपभोक्ता बागवानी शिक्षक कम वैज्ञानिक हैं एक सज्जन जिनका नाम है डेविड लोवेनस्टीन. डेविड जी कहते हैं कि केलों को फ्रिज जैसे तापमान-नियंत्रित वातावरण में रखा नहीं जाता इस कारण वो मक्खियों से छुपने में नाकाम रहते हैं. ऊपर वाले ने उनको अधिक तेज़ी से पकने का वरदान दिया हुआ है इस कारण वे सड़ते भी अधिक तेजी से हैं. बस, सड़न शुरू होने पर वे कीटों को आकर्षित करना शुरू कर देते हैं.
‘500 से ज्यादा नन्हे-नन्हे अंडे’
केलों के लिए केवल नन्हे कीड़े ही उठ कर नहीं चले आते बल्कि और भी कुछ ऐसे आ जाते हैं हैं जो आपकी सेहत के लिए बुरे हो सकते हैं. नन्हे कीड़ों और उनके भी बच्चों के लिए आपका केला दो चार साल के खाने का गोदाम होता है और इसी समय नंन्हे कीड़ों की देखा-देखी मक्खियां भी खुशबु के खजाने की तरफ भाग के आती हैं. और फिर एक दो नहीं दस बीस मादा फल-मक्खियां वहीं केले के छिलके जैसी सतहों पर 500 से ज्यादा नन्हे नन्हे अंडे दे सकती हैं जो आपको बिना किस अच्छे हैंड लेंस या माइक्रोस्कोप के नहीं दिखेंगे. लेकिन अगर आप लेंस ले आये और आपने देखा तो फिर आप कभी केला खाने की हिम्मत नहीं कर पाएंगे. धोने के बाद भी केले को खाते समय लगेगा कि आप बहुत से अण्डों में कीड़े मिला कर खा रहे हैं.
‘फिर लार्वा फिर प्यूपा फिर मक्खियां फिर..’
कहानी अभी बहुत बाकी है दोस्तों. आपके केले की सतह पर जब ये अंडे फूटते हैं, तो इसने लार्वा पैदा होते हैं, लार्वा फिर भूरे, आयताकार प्यूपा में बदल जाते हैं जो आख़िरकार वयस्क मक्खियों को जन्म देते हैं. अगर ये प्रजनन का चक्र पूरा हो जाता है, तो आपके हाथों में एक बड़ी समस्या पैदा हो सकती है.
“एक बार जब आप अंदर कुछ फल मक्खियाँ आने देते हैं, तो इसके बाद उनकी आबादी बहुत तेज़ी से बढ़ सकती है,” केले के स्नान पर प्रकाश डालते हुए कीट विशेषज्ञ बताते हैं – यही कहलाता है मक्खियों का संभावित झुंड. इनमे आपको सिर्फ मक्खियां नहीं बल्कि मक्खियों की ओवरलैपिंग पीढ़ियाँ भी मिल सकती हैं, जहाँ या तो आपके केले पर हो सकता है, या आपके मुँह में या पेट में एक ही समय में वयस्क, अंडे और लार्वा एक साथ आराम कर रहे हो सकते हैं.
अब कहने को बस यही बचा है कि -जब भी केला खाना है, केले को नहलाना है !!