अमेरिका द्वारा डिपोर्ट किए गए अवैध भारतीय प्रवासियों के मुद्दे पर संसद में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है, और इस तरह की डिपोर्टेशन पहले भी होती रही है। उन्होंने 2009 का उदाहरण देते हुए बताया कि उस समय भी 747 अवैध प्रवासियों को वापस भेजा गया था। इसके बाद से हर साल सैकड़ों लोग डिपोर्ट किए गए हैं। जयशंकर ने कहा कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है, और हर देश में नागरिकता की जांच होती है।
डिपोर्टेशन की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला
विदेश मंत्री ने बताया कि 2012 से अमेरिका द्वारा डिपोर्ट किए गए भारतीय नागरिकों को सैन्य विमान से भेजने का नियम लागू किया गया था। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है। उनके अनुसार, अवैध प्रवासी जिन्हें फंसा हुआ पाया गया, उन्हें वापस भेजना आवश्यक था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सरकार अमेरिकी अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए बातचीत कर रही है कि डिपोर्टेशन के दौरान भारतीय नागरिकों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार न हो।
ICE ने दिया महिला और बच्चों के बारे में बयान
अमेरिकी एजेंसी ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट) ने भारत सरकार को सूचित किया कि डिपोर्टेशन के दौरान महिलाओं और बच्चों को “restraints” यानी बांधकर रखने की प्रक्रिया में नहीं रखा जाता है। यह जानकारी सरकार को अवैध प्रवासियों के इलाज के बारे में मिली है।
कांग्रेस और विपक्ष ने उठाए सवाल
इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने राज्यसभा में सवाल उठाया कि क्या सरकार को यह जानकारी है कि इन भारतीय नागरिकों को कैसे डिपोर्ट किया गया। उन्होंने यह भी पूछा कि सरकार यह क्यों नहीं जानती कि अमेरिका में कितने भारतीय अभी भी फंसे हुए हैं। सुरजेवाला ने उदाहरण देते हुए कहा कि जब कोलंबिया अमेरिका को कड़ा संदेश दे सकता है तो भारत ऐसा क्यों नहीं कर सकता।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद मनोज झा ने सरकार से सवाल किया कि अमेरिका ने डिपोर्टेशन के लिए भारत सरकार को कितने समय का नोटिस दिया था। उन्होंने यह भी पूछा कि सरकार उन एजेंट्स और एजेंसियों के खिलाफ क्या कार्रवाई कर रही है जो भारतीय नागरिकों को अवैध रूप से अमेरिका भेजने का काम करती हैं।
शिवसेना सांसद संजय राउत का बयान
शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अच्छे दोस्त हैं और उनका दौरा भी तय हुआ है। इस संदर्भ में उन्होंने सवाल उठाया कि पीएम मोदी के दौरे से पहले ही भारत के नागरिकों को क्यों डिपोर्ट किया गया। राउत ने यह भी कहा कि 18 हजार भारतीयों को वापस भेजने का सवाल है, और इस पर प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की आवश्यकता है।
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अमेरिका द्वारा अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों को डिपोर्ट करने के मुद्दे पर संसद में तीखी बहस हो रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे एक सामान्य प्रक्रिया बताया, जबकि विपक्षी दलों ने इस पर कड़े सवाल उठाए हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुद्दे पर कब और क्या बयान देते हैं।