भारतीय सेना द्वारा आतंक के खिलाफ छेड़ा गया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ आतंकियों के लिए कहर बनकर टूटा है। इस मिशन के तहत पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए गए, जिसमें संगठन के संस्थापक और मोस्ट वांटेड आतंकी मसूद अजहर के परिवार को गहरी चोट पहुंची है।
सूत्रों के अनुसार, इस हमले में मसूद अजहर के परिवार के 14 सदस्य मारे गए हैं। इनमें उसका भतीजा हुज़ैफ़ा, जो रऊफ असगर का बेटा था, और रऊफ के भाई की पत्नी भी शामिल हैं। जैश के अहम रणनीतिकार माने जाने वाले रऊफ असगर इस हमले में गंभीर रूप से घायल बताया जा रहा है।
क्यों हुआ ‘ऑपरेशन सिंदूर’?
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए एक कायराना आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। इसके जवाब में भारत ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया, जिसका लक्ष्य सीधे तौर पर आतंकवाद के मुख्य स्रोतों को खत्म करना था।
निशाने पर मसूद अजहर का मदरसा
भारतीय सेना की इस कार्रवाई में बहावलपुर स्थित मसूद अजहर के मदरसे और जैश के मुख्यालय को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है। यह वही स्थान था जहाँ आतंकी प्रशिक्षण दिया जाता था और भारत विरोधी साजिशें रची जाती थीं।

कौन है मसूद अजहर?
मसूद अजहर वह नाम है, जो भारत में सैकड़ों बेगुनाहों की मौत का जिम्मेदार माना जाता है। जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक इस आतंकी को 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान IC-814 के हाईजैक के बाद छोड़ना पड़ा था। रिहाई के बाद वह पाकिस्तान में सक्रिय हो गया और लगातार भारत पर हमलों की साजिशें करता रहा।
उसके संगठन ने 2001 में संसद पर हमला, 2016 में पठानकोट एयरबेस हमला और 2019 में पुलवामा आत्मघाती हमले जैसे कई बड़े हमले किए। 2019 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किया।
यह भी पढ़ें: कौन है कर्नल सोफिया कुरैशी? जिसने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बताया
आगे की रणनीति
सेना और सुरक्षा एजेंसियां इस अभियान को एक बड़ी कामयाबी मान रही हैं, लेकिन अधिकारियों के अनुसार यह सिर्फ शुरुआत है। भारत अब आतंकवाद के खिलाफ ‘नो टॉलरेंस’ की नीति के तहत अपने शत्रुओं को उन्हीं की जमीन पर निशाना बनाने के लिए तैयार है।