जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में अपने पति, नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल को खोने वाली हिमांशी नरवाल ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की खबर सुनी, तो उनकी आंखों से आंसू बह निकले। उन्होंने सरकार से अपील की कि इस अभियान को यहीं रोकना नहीं चाहिए, बल्कि यह आतंकवाद के अंत की शुरुआत होनी चाहिए।
हिमांशी नरवाल ने कहा, “मेरा पति हमेशा देश में शांति चाहता था। वह चाहता था कि निर्दोषों की जान न जाए और हमारे देश में नफरत और आतंक के लिए कोई जगह न हो। आज जब सरकार और सेना मिलकर आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम उठा रही हैं, तो मुझे ऐसा लगता है मानो मेरे पति की आत्मा इस मिशन में समाहित है।”
गौरतलब है कि 26 वर्षीय लेफ्टिनेंट विनय नरवाल हरियाणा के करनाल जिले के निवासी थे और हाल ही में हिमांशी से विवाह के बाद हनीमून के लिए पहलगाम गए थे। लेकिन वहां हुए आतंकी हमले ने सब कुछ छीन लिया। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। हमले के बाद हिमांशी की एक तस्वीर, जिसमें वह पति के पार्थिव शरीर के पास बैठी थीं, सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी और पूरे देश में आक्रोश फैल गया था।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर हिमांशी ने कहा, “इस नाम से मैं खुद को जुड़ा हुआ महसूस करती हूं। मैंने अपना सिंदूर खोया है, मेरी जिंदगी का एक अहम हिस्सा मुझसे छिन गया। यह ऑपरेशन उन सभी औरतों की पीड़ा की आवाज है जिन्होंने आतंकवाद में अपनों को खोया है।”
सेना द्वारा शुरू किए गए इस ऑपरेशन की जानकारी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी गई, जिसमें कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह जैसी महिला अधिकारी मौजूद थीं। इस पर हिमांशी ने कहा, “औरत ही औरत के दर्द को समझ सकती है, और जब एक महिला हथियार उठाती है, तो वो सिर्फ बदला नहीं होता, बल्कि एक सशक्त संदेश होता है कि हम डरने वाले नहीं हैं।”
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उन्होंने मांग की कि पहलगाम हमले में मारे गए सभी नागरिकों और सुरक्षाबलों को शहीद का दर्जा मिले और लेफ्टिनेंट विनय नरवाल को देश का सर्वोच्च सम्मान दिया जाए। “मेरे पति का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। ये सिर्फ मेरा दर्द नहीं है, ये पूरे देश की लड़ाई है। मैं चाहती हूं कि ये ऑपरेशन आखिरी हो, ताकि किसी और हिमांशी को यह दर्द न सहना पड़े,” उन्होंने कहा।