संसद में एक बार फिर सेंगोल का मुद्दा उठ गया है। समाजवादी पार्टी के सांसदों ने इसे राजशाही और तानाशाही का प्रतीक बताते हुए हटाने की मांग की है।
सपा सांसद आरके चौधरी ने गुरुवार को संसद में सेंगोल का मुद्दा छेड़ा और उसकी जगह पर संविधान रखने की मांग की। इस पर भाजपा सांसद भड़क गए। भाजपा ने कहा कि सपा के सांसद को ऐसा कहने से पहले संसदीय परंपराओं को जानना चाहिए उसके बाद कुछ बोलना चाहिए।
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सेंगोल पर सपा सांसद आर.के. चौधरी की टिप्पणी पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, ‘पीएम मोदी ने जो किया है सही किया है। इसे (सेंगोल) रहना चाहिए’।
#WATCH | President Droupadi Murmu leaves from Lok Sabha after concluding her address to a joint session of both Houses of the Parliament.
A Parliament official, carrying Sengol, leads the way. pic.twitter.com/wASuDWePCE
— ANI (@ANI) June 27, 2024
राजद सांसद मीसा भारती ने भी आर.के. चौधरी का साथ देते हुए सेंगोल को संसद से हटाने की बात कही। उन्होंने कहा कि, ‘सेंगोल को संसद से हटाकर संग्रहालय में रखा जाए ताकि उसे लोग देख सकें।’
सपा सांसद आरके चौधरी ने गुरुवार को संसद में सेंगोल का मुद्दा छेड़ा और उसकी जगह पर संविधान रखने की मांग की। इस पर भाजपा सांसद भड़क गए। भाजपा ने कहा कि, 'सपा के सांसद को ऐसा कहने से पहले संसदीय परंपराओं को जानना चाहिए।'#SengolAtNewParliament #Sengol #सेंगोल_पर_बवाल pic.twitter.com/CFC70sQqzr
— Panchayati Times (@panchayati_pt) June 27, 2024
वहीं, केंद्रीय राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने कहा, ‘उन्होंने क्या सोचा है कि रोज कुछ ऐसी बात बोलें जिससे हम चर्चा में आ जाएं। इन बातों का कोई अर्थ नहीं है।’
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी सेंगोल मामले पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, ‘सेंगोल जब स्थापित हुआ था समाजवादी पार्टी उस वक्त भी सदन में थी, उस वक्त इनके सांसद क्या कर रहे थे?’
कहां से आया सेंगोल शब्द?
सेंगोल शब्द संस्कृत के संकु से निकला है। जिसका अर्थ होता है शंख। सेंगोल सोने या चांदी के बनाए जाते हैं और कीमती पत्थरों से सेंगोल को सजाया जाता है। भारतीय साम्राज्य में सेंगोल शक्ति और अधिकार का प्रतीक होता है। सेंगोल का सबसे पहले प्रयोग मौर्य साम्राज्य, फिर चोल साम्राज्य और फिर गुप्त साम्राज्य में किया गया था। मुगल काल और ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी इसे अपनी शक्ति के रूप में प्रयोग किया था।
अंग्रेजों से सत्ता मिलने के प्रतीक के रूप में सेंगोल का प्रयोग किया जाता है। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सेंगोल को स्वीकार किया था। सेंगोल को नये संसद भवन में स्पीकर सीट के पास रखा गया है। जो निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन का प्रतीक है।