नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ लगातार तीसरी बार 9 जून की शाम को ली। उनके साथ 71 मंत्रियों ने मंत्री पद की शपथ ली। इसमें से 30 कैबिनेट मंत्री, पांच राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 36 राज्य मंत्री के रूप में शपथ लिया। मोदी सरकार का यह मंत्रिमंडल पिछले दो कार्यकाल के तुलना में सबसे बड़ा है।
2014 में नरेंद्र मोदी ने जब पीएम पद की शपथ ली थी तो उनके साथ 46 सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली थी। 2019 में जब उन्होंने शपथ ली तो उनके साथ 59 सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली थी। इस बार जब नरेंद्र मोदी ने पीएम पद की शपथ ली तो उनके साथ 71 सांसदों ने मंत्री पद की शपथ ली।
संविधान के अनुसार कितना मंत्री बन सकता है
संविधान के अनुसार अधिकतम 81 सांसद मंत्री बन सकते हैं। संविधान के 91वें संशोधन के मुताबिक, लोकसभा के कुल सदस्यों में से 15% को ही मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। लोकसभा में कुल 543 सीटें हैं। इसलिए भारत सरकार में 81 मंत्री ही बन सकते हैं।
मंत्रिमंडल में तीन तरह के मंत्री होते हैं
मंत्रिमंडल का गठन प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 75 के तहत करता है। मंत्रिमंडल में तीन तरह का मंत्री पद होता हैं। कैबिनट मंत्री जो सबसे अधिक शक्तिशाली होता है। उसके बाद राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री होता है।
कैबिनेट मंत्री: कैबिनेट मंत्री मंत्रियों में सबसे शक्तिशाली होता है। यह सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है। इनको जो भी मंत्रालय मिलता है उसकी सारी जिम्मेदारी इनकी होती है। इन्हें एक से अधिक मंत्रालय भी दिया जाता है। सरकार अगर कोई फैसला लेती है तो उसे कैबिनेट की बैठक में ही लेती है।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार): इनके अंदर जो भी मंत्रालय आती है उसके कर्ता-धर्ता वही होते हैं। इनको भी सीधे पीएम को रिपोर्ट करनी होती है। यह कैबिनेट की बैठक में भाग नहीं लेते हैं। इन्हें कैबिनेट मंत्री को रिपार्ट नहीं करनी पड़ती।
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राज्य मंत्री: राज्य मंत्री का पद कैबिनेट मंत्री को मदद करने के लिए बनाया गया है। एक कैबिनेट मंत्री के नीचे एक या उससे अधिक राज्य मंत्री बनाए जाते हैं। इसको रिपोर्टिंग कैबिनेट मंत्री को होती है। कैबिनेट मंत्री जब उपस्थित नहीं होते तो मंत्रालय की सारी जिम्मेदारी राज्य मंत्री की होती है। यह भी कैबिनेट की बैठक में भाग नहीं लेते।