Mahakumbh 2025: भारत की भूमि जहां हर पग पर इतिहास और आस्था का संगम है और इसी आस्था का सबसे बड़ा उत्सव है, महाकुंभ। महाकुंभ का इतिहास धार्मिक, पौराणिक, और सांस्कृतिक महत्व से जुड़ा है। यह आयोजन न केवल हिंदू धर्म की परंपराओं को दर्शाता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की अनमोल धरोहर भी है।
पौराणिक कथा और महाकुंभ का उद्भव
महाकुंभ का आधार समुद्र मंथन की कथा से जुड़ा हुआ है। देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया। जब मंथन के आखिर में भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर निकले तो इसे लेकर देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष हुआ। इसी छीना-झपटी में अमृत की कुछ बूंदे धरती में 4 जगहों पर गिरीं। प्रयागराज (गंगा, यमुना और सरस्वती संगम), हरिद्वार (गंगा नदी), उज्जैन (क्षिप्रा नदी), नासिक (गोदावरी नदी)। माना जाता है कि तभी से इन चार स्थानों पर हर 12 साल के बाद कुंभ लगता है।

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क्या है प्राचीन इतिहास?
ऋग्वेद और महाकाव्यों में उल्लेख
महाकुंभ का पहला उल्लेख ऋग्वेद, महाभारत, और पुराणों में मिलता है। यह आयोजन उन पवित्र स्थानों पर होता है, जिन्हें अमृत प्राप्ति से जोड़ा गया है।
शंकराचार्य का योगदान
8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने अखाड़ों की स्थापना की और साधु-संतों के महाकुंभ में भाग लेने की परंपरा को मजबूत किया।
मध्यकालीन इतिहास
मुगल काल में कुंभ
मुगल सम्राट अकबर ने प्रयागराज को ‘इलाहाबाद’ नाम दिया और कुंभ के महत्व को समझते हुए इसे संरक्षण दिया। उनके शासनकाल में कुंभ में सुरक्षा और सुविधाओं पर ध्यान दिया गया।

ब्रिटिश काल
ब्रिटिश शासन के दौरान महाकुंभ को व्यवस्थित करने का प्रयास किया गया। उन्होंने कुंभ मेले की भीड़ और आयोजन की व्यापकता को देखकर इसे बेहतर तरीके से प्रबंधित किया।
आधुनिक युग में महाकुंभ
स्वतंत्र भारत में आयोजन
आजादी के बाद, भारत सरकार ने महाकुंभ को विश्व स्तरीय आयोजन के रूप में स्थापित किया। इसके आयोजन में करोड़ों की भीड़ और धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं।
यूनेस्को की मान्यता
2017 में, महाकुंभ को यूनेस्को ने ‘मानवता की ‘अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर’ के रूप में मान्यता दी। महाकुंभ के धार्मिक महत्व की अगर बात करें तो महाकुंभ में पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह साधु-संतों, नागा बाबाओं, और तीर्थयात्रियों का ऐसा संगम है, जो भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाता है। महाकुंभ में करोड़ों लोग एक साथ एकत्रित होकर धार्मिक, सांस्कृतिक, और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।
महाकुंभ और विश्व का जुड़ाव
महाकुंभ आज सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। यह विश्वभर के लोगों को आकर्षित करता है, जो इसे भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का अनुभव करने का माध्यम मानते हैं।