दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने कोई राहत न देते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने आंशिक रूप से यह माना है कि मनीष सिसोदिया 338 करोड़ रूपये के लेनदेन में शामिल हैं। आप नेता मनीष सिसोदिया पर दिल्ली शराब नीति बनाने में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। इस आरोप में मनीष सिसोदिया इसी साल के 26 फरवरी से जेल में बंद हैं।
मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलना प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई के लिए बड़ी जीत है। शीर्ष अदालत से सिसोदिया को जमानत न मिलना, ED और CBI के दलीलों और सबूतों पर सुप्रीम कोर्ट का मोहर माना जा रहा है। इससे पहले ट्रायल कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज की जा चुकी है।
सिसोदिया पर सबूतों को मिटाने और शराब कारोबारियों के लिए रूपये के बदले एक नीति बनाने और उसे लागू करने का आरोप है। आम आदमी पार्टी का दावा था कि इस मामलें में पैसे कि कोई लेन-देन नहीं हुआ है लेकिन इसके विपरीत सुप्रीम कोर्ट ने ED और सीबीआई द्वारा लगाए गए 338 करोड़ रूपये के लेन-देन को आंशिक रूप से माना है।
केजरीवाल को बताना पड़ेगा कि शराब घोटाले का पैसा कहां गया
इस मुद्दे पर बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस को सम्बोधित करते हुए कहा कि कट्टर ईमानदार केजरीवाल जी के मुताबिक भारत रत्न के प्रत्याशी दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पिछली सर्दियों से हवालात में है। इस दौरान 6 बार उनकी जमानत की अर्जी रिजेक्ट हुई है। इस बार सर्वोच्च न्यायालय ने अपना जो ऑब्जरवेशन दिया है, वो बहुत गंभीर है।
सर्वोच्च न्यायालय के आज के ऑब्जरवेशन में इस बार सिर्फ जमानत याचिका खारिज नहीं हुई है, बल्कि इसमें 338 करोड़ रुपये का मामला सामने आ रहा है। इस समय यह सिर्फ एक आरोप नहीं बल्कि अब इसमें संख्यात्मक स्थिति भी सामने आ गई है। भ्रष्टाचार के आरोप तथ्यात्मक दृष्टि से लगातार स्थापित होते जा रहे हैं, लगातार जमानत याचिकाएं खारिज हो रही हैं। परंतु फिर भी आम आदमी पार्टी का चरित्र एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी वाला दिखाई दे रहा है।
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