उत्तराखंड में सिंचाई व्यवस्थाओं के संचालन को विकेंद्रीकृत करते हुए अब नहरों, नलकूपों और लिफ्ट सिंचाई योजनाओं का संचालन ग्राम पंचायतों की समितियों के माध्यम से किया जाएगा। यह निर्देश मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सोमवार को सचिवालय में सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक में दिए।
मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि स्थानीय सहभागिता से न केवल संचालन में पारदर्शिता आएगी, बल्कि संसाधनों का समुचित उपयोग भी सुनिश्चित होगा।
तकनीकी सहायता और शोध का उपयोग बढ़ेगा
मुख्य सचिव ने निर्देश दिया कि सिंचित और असिंचित क्षेत्रों की माप के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जाए। साथ ही सिंचाई अनुसंधान संस्थान (IRI) की मदद से उन क्षेत्रों की पहचान की जाए जहां उच्च सिंचाई क्षमता है और कृषि की दृष्टि से अधिक उत्पादकता संभव है। उन्होंने यह भी कहा कि नहरों की मरम्मत कार्यों की प्राथमिकता तय की जाए ताकि जलस्रोतों की दक्षता में सुधार हो।

सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई प्रणाली पर बल
राज्य सरकार अब नलकूप और लिफ्ट सिंचाई योजनाओं को सौर ऊर्जा संयंत्रों से जोड़ने की दिशा में काम करेगी। सिंचाई विभाग को निर्देश दिए गए कि वह अपनी खाली पड़ी भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करे और वर्ष 2025 के लिए एक मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित करे। इससे विभाग की बिजली लागत में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना जताई गई है।
बड़ी परियोजनाओं की निगरानी होगी सख्त
मुख्य सचिव ने जमरानी बांध, सौंग बांध परियोजना और बलियानाला भूस्खलन उपचार योजना जैसी प्रमुख परियोजनाओं की प्रगति की सचिव स्तर पर मासिक समीक्षा और विभागाध्यक्ष स्तर पर साप्ताहिक अथवा पाक्षिक अनुश्रवण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं की निर्धारित समयसीमा में पूर्णता सुनिश्चित की जाए।
जल स्रोतों का संरक्षण व पुनरुद्धार
जल संरक्षण के प्रयासों को गति देने के लिए मुख्य सचिव ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जलाशय निर्माण के लिए वन एवं पर्यावरण स्वीकृति की प्रक्रिया को शीघ्रता से पूर्ण करने का निर्देश दिया।
आईआरआई, रुड़की को अब जलागम विभाग के अंतर्गत आने वाली वर्षा आधारित नदियों और जलधाराओं के पुनर्जीवन का कार्य सौंपा गया है।
लघु सिंचाई योजनाओं पर विशेष ध्यान
भूजल की कमी वाले क्षेत्रों में ड्रिप और स्प्रिंकल सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए कहा गया है। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्रों में सौर ऊर्जा से संचालित लघु सिंचाई योजनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि बिजली की निर्भरता कम हो और छोटे किसानों को लाभ मिल सके।
बांध परियोजनाओं की समयसीमा
- सौंग बांध परियोजना, देहरादून — ₹2491.96 करोड़ | निर्माण शुरू: नवंबर 2024 | लक्ष्य: दिसंबर 2029
- जमरानी बांध परियोजना, कुमाऊं — ₹3808.16 करोड़ | निर्माण शुरू: जून 2024 | लक्ष्य: मार्च 2030
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उत्तराखंड सरकार की यह पहल राज्य में सिंचाई व्यवस्था को सशक्त, प्रौद्योगिकी-सक्षम और सौर ऊर्जा आधारित बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। ग्राम पंचायतों की भागीदारी, पारदर्शिता, और स्थानीय जरूरतों के अनुसार योजनाओं के संचालन से कृषि उत्पादन और जल संरक्षण दोनों क्षेत्रों में सुधार की उम्मीद है।